103वां उर्स-ए-आला हज़रत
गोरखपुर। रविवार को शहर में 14वीं व 15वीं सदी हिजरी के अज़ीम मुजद्दिद आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां का 103वां उर्स-ए-मुबारक अकीदत व मोहब्बत के साथ मनाया गया। हर तरफ एक ही नारा गूंजा इश्क मोहब्बत-इश्क मोहब्बत, आला हज़रत-आला हज़रत। घरों, मदरसों, मस्जिदों व सोशल मीडिया पर आला हज़रत को शिद्दत से याद किया गया। नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर, मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाज़ार, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला, दारुल उलूम अहले सुन्नत मजहरुल उलूम घोसीपुरवा, शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, बरकाती मकतब पुराना गोरखपुर गोरखनाथ, बेलाल मस्जिद व मदरसा क़ादरिया तजवीदुल क़ुरआन लिल बनात अलहदादपुर में उर्स-ए-आला हज़रत के मौके पर महफिल सजी। क़ुरआन ख्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी की गई। नातो मनकबत पेश हुई। अकीदतमंदों में लंगर बांटा गया।
आला हज़रत ने ज़िन्दगी अल्लाह व रसूल की फरमाबरदारी में गुजारी : मौलाना असलम
गोरखपुर। नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में जोहर की नमाज़ के बाद महफिल हुई। जिसमें मौलाना मो. असलम रज़वी व मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही ने कहा कि आला हज़रत ने पूरी ज़िन्दगी अल्लाह व रसूल की इताअत व फरमाबरदारी में गुजारी। आला हज़रत पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम पर जानो दिल से फ़िदा व क़ुर्बान थे। तकरीर के बाद कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों में लंगर बांटा गया। महफिल में शाबान अहमद, अलाउद्दीन निज़ामी, मो. सैफ रज़ा निज़ामी, अशरफ़ निज़ामी, मो. शरीफ, मौलाना मकबूल, कारी मोहसिन, मनोव्वर अहमद आदि मौजूद रहे।
आला हज़रत 14वीं व 15वीं सदी हिजरी के अज़ीम मुजद्दिद हैं : मुफ़्ती अख़्तर
गोरखपुर। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाज़ार व दारुल उलूम अहले सुन्नत मजहरुल उलूम घोसीपुरवा में उर्स-ए-आला हज़रत अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। क़ुरआन ख़्वानी हुई। मदरसे के बच्चों ने नात व मनकबत पेश की। महफिल में मुफ़्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी (मुफ़्ती-ए-शहर) ने कहा कि आला हज़रत 14वीं व 15वीं सदी हिजरी के अज़ीम मुजद्दिद हैं। जिन्हें उस समय के प्रसिद्ध अरब व अज़म के विद्वानों ने यह उपाधि दी।
मौलाना हारून मिस्बाही व मौलाना मो. वारिस अली मिस्बाही ने कहा कि आला हज़रत को अल्लाह व पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से सच्ची मोहब्बत और गहरा इश्क था। जिसको आपने ‘हदाइके बख्शिश’ में नातो मनकब के जरिए बयान किया है। अंत में कुल शरीफ की रस्म हुई। सलातो सलाम पढ़कर दुआ ख़्वानी की गई। शीरीनी बांटी गई। महफिल में हाफ़िज़ नज़रे आलम क़ादरी, नवेद आलम, मो. शाहिद, कारी इसहाक, कारी कासिम, कारी रईसुल क़ादरी, मौलाना अब्दुर्रब मिस्बाही, कारी मो. तनवीर अहमद क़ादरी, मौलाना इदरीस, मौलाना अब्दुल खालिक, कारी जमील मिस्बाही, मौलाना मो. जाहिद मिस्बाही, मौलाना रियाजुद्दीन क़ादरी, सूफी निसार अहमद, मो. आजम खान, कारी अनीस, मो. नसीम अहमद खान, हाफ़िज़ रेयाज अहमद, हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी, हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी, हाफ़िज़ एमादुद्दीन आदि मौजूद रहे।
आला हज़रत का ‘कंजुल ईमान’ व ‘फतावा रज़विया’ बेमिसाल है : मौलाना रियाजुद्दीन
गोरखपुर। गाजी मस्जिद गाजी रौजा में उर्स-ए-आला हज़रत मनाया गया। क़ुरआन ख़्वानी की गई। महफिल सजी। जिसमें मौलाना रियाजुद्दीन क़ादरी ने आला हज़रत की शख़्सियत पर रोशनी डालते हुए कहा कि आला हज़रत ने 13 साल की उम्र से ही फतवा लिखना और लोगों को दीन-ए-इस्लाम का सही पैग़ाम पहुंचाना शुरू कर दिया। पूरी उम्र दीन की खिदमत में गुजारी। आला हज़रत द्वारा किया गया क़ुरआन पाक का उर्दू में तर्जुमा ‘कंजुल ईमान’ व ‘फतावा रज़विया’ बेमिसाल है। अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बंटी। महफिल में हाफ़िज़ रेयाज अहमद, हाफ़िज़ आमिर हुसैन निज़ामी, हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी, ताबिश सिद्दीक़ी, शिराज सिद्दीक़ी, शहबाद़ सिद्दीक़ी, मो. आज़म, मसूद कलीम, नदीम वारसी आदि ने शिरकत की।
पूरी दुनिया में आला हज़रत का चर्चा है : मौलाना अली अहमद
गोरखपुर। ग़ौसे आज़म फाउंडेशन की ओर से बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में उर्स-ए-आला हज़रत पर क़ुरआन ख़्वानी व फातिहा ख़्वानी की गई। महफिल सजाई गई। मस्जिद के इमाम मौलाना अली अहमद ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म अलैहिस्सलाम से सच्ची मोहब्बत आला हज़रत का सबसे अज़ीम सरमाया था। आपकी एक मशहूर किताब जिसका नाम ‘अद्दौलतुल मक्किया’ है। जिसको आपने केवल आठ घंटों में बिना किसी संदर्भ ग्रंथ के मदद से हरम-ए-मक्का में लिखा। आज पूरी दुनिया में आला हज़रत का चर्चा है। अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शहर के विभिन्न जगहों पर लंगर बांटा गया। कार्यक्रम में फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, जिला महासचिव हाफ़िज़ मो. अमन, मो. फ़ैज़, मो. ज़ैद, मो. ज़ैद ‘चिंटू’, मो. आसिफ, अली गज़नफर शाह, रियाज़ अहमद, वारिस अली, मो. समीर, अमान अहमद, सैयद ज़ैद, नूर मोहम्मद दानिश, मो. इमरान आदि शामिल रहे।
जंगे आजादी में आला हज़रत व आपके पूरे खानदान ने महती भूमिका निभाई : कारी मोहसिन
गोरखपुर। सुन्नी जामा मस्जिद सौदागर मोहल्ला, बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादपुर व मदरसा क़ादरिया तजवीदुल क़ुरआन लिल बनात में भी उर्स-ए-आला हज़रत धूमधाम से मनाया गया। क़ुरआन ख़्वानी व फातिहा ख़्वानी की गई। महफिल में कारी मो. मोहसिन रज़ा, कारी अफ़ज़ल बरकाती व कारी शराफत हुसैन क़ादरी ने कहा कि आला हज़रत ने हिंद उपमहाद्वीप के मुसलमानों के दिलों में अल्लाह और पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के प्रति प्रेम भर कर पैग़ंबर-ए-आज़म की सुन्नतों को ज़िन्दा किया। आप सच्चे समाज सुधारक थे। आप मुल्क से बहुत मोहब्बत करते थे। जंगे आजादी में आपने और आपके पूरे खानदान ने महती भूमिका निभाई। अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। महफिल में काशिफा बानो, नौशीन फातिमा, जिक्रा फातिमा, महजबीन सुल्तानी, इलमा नूर आदि ने शिरकत की।
पूरी दुनिया में आला हज़रत की ज़िन्दगी व फतावों पर रिसर्च किया जा रहा है : कारी अनस
गोरखपुर। गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, बरकाती मकतब पुराना गोरखपुर व शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह में उर्स-ए-आला हज़रत पर महफिल सजी। जिसमें मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी, कारी मोहम्मद अनस रज़वी, हाफ़िज़ आफताब, हाफ़िज़ रज़ी अहमद बरकाती ने कहा कि पूरी दुनिया में आला हज़रत की ज़िन्दगी व फतावों पर रिसर्च किया जा रहा है। आज पूरी दुनिया में उर्स-ए-आला हज़रत मनाया जा रहा है। जो इस बात का सबूत है कि आज दुनिया के हर कोने में आला हज़रत के चाहने वाले मौजूद हैं। आला हज़रत का “फतावा रज़विया” इस्लामी कानून (फिक्ह हनफ़ी) का इंसाइक्लोपीडिया है। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। महफिल में जलालुद्दीन, अफ़ज़ल अहमद खान, अलतमश, मो. अफ़ज़ल, फरीद अहमद आदि शामिल रहे।