शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह में सजी सवाल-जवाब की दीनी महफिल
गोरखपुर। शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह में गुरुवार को सवालो जवाब की दीनी महफिल सजी। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात-ए-पाक पेश की गई। अवाम के सवाल का जवाब क़ुरआन व हदीस की रोशनी में दिया गया।
मुख्य वक्ता कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की पाक ज़िन्दगी इंसानियत के लिए एक बेहतरीन मिसाल है, जिससे पूरी दुनिया एक अच्छी और मिसाली ज़िन्दगी गुजारने का सबक हासिल करती रही है। दुनिया मोमिन के लिए कैदखाना है। दुनिया जी लगाने की नहीं, इबरत की जगह है। पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम की राह पर चलकर ही ज़िन्दगी व आखिरत को कामयाब बनाया जा सकता है।
मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ आफताब अहमद ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम इंसान के लिए नेमत है। दीन-ए-इस्लाम के रास्ते पर चलने वाला इंसान किसी का हक नहीं मारता है। नमाज़, रोजा, हज, जकात के साथ मां-बाप, भाई-बहन, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और आम इंसानों का हक अदा करें। किसी का दिल न दुखाएं। इस दौर में पीरी मुरीदी कारोबार बनती जा रही है। फर्जी सूफियों व पीरों से सावधान रहें। पीर वही अच्छा है जो खुद भी शरीअत का पाबंद हो और मुरीदों को भी शरीअत पर चलाए। मुसलमानों को दीन-ए-इस्लाम के वसूलों पर चलने का हुक्म अल्लाह ने दिया है। दीन-ए-इस्लाम के वसूल मतलब क़ुरआन और पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के बताये गए रास्ते हैं।
अंत में उम्मुल मोमिनीन हज़रते सैयदा मैमूना, हज़रत वारिस अली, इमाम हाकिम नेशापुरी, हज़रत हसनैन रज़ा खां, हज़रत शरीफुल हक अमजदी, हज़रत सैयद अब्दुल्लाह शाह, हज़रत शैख़ बहाउद्दीन ज़करिया, हज़रत अबुल फैज़ सौबान जुन्नून मिस्री की पाक रुहों के लिए इसाले सवाब किया गया। सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती की दुआ मांग शीरीनी बांटी गई। महफिल में मौलाना इसहाक, अमान अत्तारी, अयान, हाफ़िज़ आरिफ, जलालुद्दीन, अरमान आदि ने शिरकत की।