एक ये भी मजाक चल रहा है आजकल फेसबुक पर,
कहा जा रहा है की महाराणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह जोकि प्रताप के खिलाफ जाकर अकबर से मिल गया था,
उसकी बेटी एक दिन मीना बाजार में शॉपिंग कर रही थी, तभी अकबर की नज़र उसपर पड़ गयी और उसने उस से अकेले में मिलना चाहा तो शक्ति सिंह की बेटी ने चाक़ू खेंच लिया अकबर पर, फिर जब अकबर ने माफ़ी मांगी तब ही जाके उसने अकबर को ज़िंदा छोड़ा।
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अब इस कहानी में और साथ दी गयी तस्वीर में इतने जबरदस्त पेंच है की पूछो मत,
एक तो ये की शक्ति सिंह इतनी बड़ी हैसियत ही नहीं रखता था के उसके परिवार वालों को मीना बाज़ार में एंट्री मिलती,
मीना बाज़ार उस समय एकदम एक्सक्लूसिव जगह थी जहां के अकबर के परिवार की औरतें आया करती थी,
और उनके अलावा केवल जो एकदम ख़ास लोग थे अकबर के उनके घर की औरतें आती थी,
अच्छा आगे भी चलो मान लेते हैं की किसी तरह शक्ति सिंह की बेटी वहाँ पहुँच गयी,
फिर भी जबकि अकबर की प्रताप से जबरदस्त ठनी हुई थी तो वो उसकी भतीजी को ऐसे मीना बाज़ार में क्यों ही आने देता जहां खुद उसके परिवार की औरतें आयी हुई थी, और वो खुद भी आया हुआ था,
मतलब वो मुग़ल जो खाना भी तब खाते थे जब कोई और उसे पहले चख ले की कहीं उसमे ज़हर ना मिला हुआ हो,
वो ऐसे एक दुश्मन की भतीजी को हथियार के साथ इतनी प्राइवेट जगह पर एंट्री देते ही क्यों ?
मतलब कम से कम चेकिंग तो सबकी होती ही।
और फिर चाकू खेंच लेने के बाद भी अकबर ने शक्ति सिंह की बेटी को ऐसे ही ज़िंदा वापस जाने दिया ये भी बहुत बड़ा मजाक है,
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मतलब अकबर कोई मीना बाज़ार का चौकीदार थोड़े ही था के कोई उसपर चाकू खेंच ले और वो ज़िंदा अपने घर चला जाए। मुग़ल आखिर खुद को मंगोलों का वंशज मानते थे, और उनमे गर्दन काट लेने से लेकर आँखें निकाल लेने तक के सभी क्रूर examples मौजूद हैं, अगर ऐसा किसी कारण हो भी गया होता तो शक्ति सिंह की बेटी की खाल खिंचवाकर मुग़ल उसी की दरी या मेजपोश बनाकर मीना बाजार में बेच देते।
और फिर चलो अकबर तो फिर भी माफ़ कर देता, लेकिन अकबर के घर की औरतें ?
वो कैसे बर्दाश्त कर लेती अपने पति/भाई/बाप/चाचा की ऐसी बेइज़्ज़ती, औरतों ने ही शक्ति सिंह की बेटी को वहीँ मीना बाजार में मार देना था।
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अब इस तस्वीर पर आ जाते हैं, इसमें जो पिंक हैंडबैग दिख रहा है, ऐसा हैंडबैग 16वीं सदी में होना तो नामुमकिन ही था।
दूसरा जो बुर्के भी मुस्लिम औरतों ने पहन रखें हैं वो भी हैदराबादी डिज़ाइन के हैं,
अब अकबर बेचारा उम्र भर डेक्कन में नहीं घुस पाया था, लेकिन यहां संघी भाइयों ने उनके घर की औरतों को डेक्कन के फैशन scene में जरूर घुसवा दिया है।
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तीसरा और आखिरी जो तर्क है वो ये है की अकबर क्यों बुर्का पहने हुए हैं इसमें ?
जबकि अकबर और उसके बेटे तो allowed थे मीना बाज़ार में,
वो लोग ही तो खरीदारी करते थे वहाँ,
मीना बाज़ार को आप ऐसे माने की आज के जमाने का कोई मेला, जिसमे लोग अपनी आर्ट का प्रदर्शन करते थे।
तो अकबर को बुर्के में आने की क्या जरूरत थी जबकि वो ही सबसे बड़ा चीफ गेस्ट हुआ करता था वहाँ।
जली ना तेरी भी जली ना ये तथ्य न दो की वहा वो थी या नहीं अगर नही गई होती तो कहानी इसी तरह नहीं बन जाती अकबर भी उसको कब्जा कैसे करवाता ,वो दुनिया वालो को क्या बोलता की एक औरत ने मेरे ऊपर पैर रखकर मुझपर चालू चलाया और मैं उससे अपने जान की भीख मांगने लग गया। अगर ये भी गलत है तो कल तुम ये हुई बोलोगे की भगवान या अल्लाह नाम का कुछ होता ही नही है, अगर होता तो नजर नहीं आता।
Tumhe to itihas ka bhi pata nahi wo meena bajaar nahi khusrojmela tha. Jisme shakti singh ki beti ne us akbar ko bura mara. Or akbar ki kya okat thi maharana pratap ke samne kabhi yuddh karne nahi aaya. Maharana pratap ka naam sukar moot deta tha wo. Or neend me bhi maharana pratap se uki patti thi.