बस्ती: हमारी आवाज़ (इम्तियाज़ मंसूरी) 23जनवरी
लुटेरे दरोगा धर्मेन्द्र यादव की करतूत और उसकी आमद-रवानगी पर बराबर नजर रखी जाती तो शायद बस्ती पुलिस के साथ ही पूरे पुलिस महकमे को शर्मसार नहीं होना पड़ता। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों और साथी कर्मचारियों की लापरवाही का फायदा सरगना लुटेरे दरोगा धर्मेन्द्र और उसके दोनों सहयोगी सिपाही संतोष यादव व महेंन्द्र यादव ने भरपूर फायदा उठाया। खाकी वर्दी पहने लुटेरों के गैंग के सरगना एसआई धर्मेन्द्र ने पुरानी बस्ती थाने को ही कंट्रोल रूम बना लिया था। थाने पर ही लूट की साजिश रचता था और दूसरे जिले में घटना को अंजाम देने के बाद थाने में ही माल छिपाने के साथ ही बेखौफ चैन की नींद सोता था।
गोरखपुर पुलिस द्वारा गैंग लीडर पुरानी बस्ती थाने के एसआई धर्मेन्द्र यादव, सिपाही संतोष यादव और महेंन्द्र यादव की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि 30 दिसम्बर 2020 को गोरखपुर जिले के शाहपुर थाना क्षेत्र में सराफा मंडी घंटाघर निवासी दो सराफा व्यवसायियों को भी इन्हीं सब ने लूटा था। सूत्रों के मुताबिक शाहपुर में लूट के बाद सरगना एसआई और दोनों सिपाही अपने तैनाती स्थल पुरानी बस्ती थाने में ही लौटे। लूटा गया दस लाख रुपये का सोना-चांदी भी थाने में ही छिपाए थे और मामला ठंडा होने पर आपस में बंटवारा किया।
किसी वरिष्ठ अधिकारी और सहयोगियों द्वारा कोई ध्यान नहीं दिए जाने पर तीनों का मन बढ़ता गया। और इतना बढ़ा कि 20 जनवरी 2021 को एक बार फिर गोरखपुर जिले में ही कैंट थाना क्षेत्र में महरागंज जिले के रहने वाले दो सराफा व्यवसायियों को दिनदहाड़े लूट लिया। लूटने के बाद और कहीं भागने की बजाए तैनाती स्थल पुरानी बस्ती थाने पर ही आए। फिलहाल पुलिस को अभी तक इनके द्वारा किए गए दो ही लूटकांड का पता चला है। अब तीनों की कॉल डिटेल खंगालने के बाद गैंग के अन्य सदस्यों और कई अन्य घटनाओं का खुलासा होने की उम्मीद है।
सिपाही से दरोगा बना था सरगना धर्मेन्द्र: पुलिस महकमे के लिए कलंक बना एसआई धर्मेन्द्र यादव मूलत: गोरखपुर जिले के सिकरीगंज थानांतर्गत जगरनाथपुर गांव का रहने वाला है। 1993 में बतौर कांस्टेबल पीएसी में भर्ती हुआ। कुछ दिनों बाद यूपी पुलिस में बलिया जिले में तैनाती मिली। 2016 में प्रमोशन पाकर एसआई बना और 01 सितम्बर 2018 को पुलिस लाइन बस्ती पहुंचा और वहां से पुरानी थाने में तैनाती मिली। इसके अलावा उसके दोनों साथी सिपाही 2018 में भर्ती हुए थे। कांस्टेबल महेन्द्र यादव निवासी रेकवार डीह थाना सराय लखनसी जिला मऊ और कांस्टेबल संतोष यादव निवासी अलवरपुर थाना जंगीपुर जिला गाजीपुर का रहने वाला है। दोनों पुलिस लाइन बस्ती से 27 जनवरी 2019 को पुरानी बस्ती थाने में तैनात हुए थे। इसी साल मई में महेन्द्र की शादी तय है।
दारोगा-सिपाही होंगे बर्खास्त, ये सबूत बनेंगे गले की फांस: महराजगंज निचलौल के सर्राफा कारोबारियों से गोरखपुर के नौसढ़ में लूट करने वाले पुलिस कर्मियों का बच पाना आसान नहीं है। कानून के जानकार बताते हैं कि लूट की रकम और सोने की सौ प्रतिशत बरामदगी ही इनके गले की फांस बनेगी। अगर यह रकम बरामद नहीं होती तो फिर बाद में उन्हें संदेह का लाभ मिल सकता था पर रुपये बरामद होने के बाद हालात इनके पक्ष में नहीं हो पाएंगे। इनके अलावा जिन तीन लोगों को पकड़ा गया है उन पर भी यह मामला नहीं डाल सकते हैं क्योंकि बरामदगी इन्हीं के पास से दिखाई गई है। वहीं अन्य मामलों में जिसमें पुलिसवाले अब तक बच निकले हैं उसमें सबसे बड़ी वजह बरामदगी का न होना ही था। सिर्फ बयानों के आधार पर कार्रवाई हुई लेकिन रुपये बरामद नहीं हुए इसका उन्हें लाभ मिल गया।
महराजगंज, निचलौल के रहने वाले दीपक वर्मा और रामू वर्मा से बीते बुधवार को बस्ती जिले के पुरानी बस्ती में तैनात दरोगा धर्मेन्द्र यादव ने दो अन्य सिपाहियों के साथ मिलकर गोरखपुर के नौसढ़ के पास लूट की थी। रुपये और गहने के साथ लखनऊ जा रहे दोनों व्यापारियों को उन्होंने गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन से चेकिंग के बहाने अगवा किया था और बाद में दोनों के पास से 19 लाख रुपये और 11 लाख रुपये की कीमत का सोना लूट लिए थे। जिस बोलेरो को उन्होंने वारदात में इस्तेमाल किया था उसी से उनकी पहचान हो गई। पुलिस ने पहले बोलेरो मालिक को पकड़ा तो फिर ड्राइवर की जानकारी हुई और ड्राइवर ने तोते की तरफ सब कुछ बता दिया। ड्राइवर को यही पता था कि साहब लोग दबिश में गोरखपुर जा रहे हैं। यही वजह थी कि वह कुछ भी नहीं छिपाया और पुलिसवालों की करतूत सामने आ गई।
रुपये और सोना बरामद करने के लिए पुलिस ने बदाव बनाया तो उसे भी इनकी निशानदेही पर बरामद कर लिया गया। दरअसल शुरुआत में पुलिसवाले यही मान रहे थे कि उन्होंने लूट नहीं की है बल्कि दो नम्बर के रुपये और साने में से कुछ ले लिया है। हालांकि जब उन्हें पता चला कि लूट के वे मुल्जिम बन गए हैं तो फिर उनके होश उड़ गए। माना जा रहा है कि केस को और मजबूत करने के लिए बोलेरो चालक को आगे जाकर पुलिस गवाह भी बना सकती है। अब तक जांच में यह माना जा रहा है कि बोलेरो चालक के गाड़ी का पुलिसवाले इस्तेमाल करते थे। उसे यही बताया जाता था कि गोरखपुर में दबिश देकर बदमाश को पकड़ना है।