गोरखपुर/बाँसगव: जैसा कि सुनने में बहुत ही अच्छा लगता है कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है परंतु गांव की दुर्दशा देखकर ऎसा लगता है कि अब आत्मा का दम घुट रहा है ।हम बात कर रहे हैं मुख्यमंत्री के गृह जनपद के विकासखंड बांसगांव के ग्राम सभा अम्मरपुर के गांव का ,जहां पर बरसात के समय में टूटी फूटी बीसो साल पहले बनी सड़को (खड़ंजा या आरसीसी) का स्थिति को देखकर यह आभास होता है कि यह गांव किसी बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का है । इन दिनों महिलाएं बच्चों बुजुर्गों को घर से निकलने पर चोटिल होने की संभावनाएं इन गांवो में अधिक दिख रहे हैं। प्रदेश के मुखिया का मूल उद्देश्य है कि ग्राम स्तर पर सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाए और सभी व्यवस्था को मजबूत व सुदृढ़ बनाया जाए परंतु जिम्मेदार इस विषय पर घोर लापरवाही बरतते नजर आ रहे हैं। जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा यही रहा तो 2022 के विधानसभा चुनाव में विपक्ष को यह कहने का मौका दिया जायेगा कि यदि मुख्यमंत्री के गृह जनपद का हाल बदतर है तो अन्य जिलों का क्या होगा? जबकि वास्तविकता यह है की सरकार द्वारा ग्राम विकास के लिए करोड़ों रुपए का बजट भेजा जाता है। इस बजट से प्रधान और अधिकारियों की मिलीभगत से विकास की गंगा केवल कागजों में बहती है धरातल पर नहीं। यदि हम बात करें तो इस ग्राम सभा के गांव डडवा मनोहर में आरसीसी सड़क को तोड़कर नाली बनाई गई जो खुली अवस्था में छोड़ दी गई है ,जिससे आए दिन बच्चे, महिलाएं व बूढ़े गिरकर चोटिल हो रहे हैं। वहीं एक अन्य गांव बसौली खुर्द में सड़क के नाम पर केवल कुछ ईटें ही बची है और पूरी सड़क जलमग्न हो गई है। जबकि डुमरी मुतालिक शाहपुर में कुछ दूर तक ही इंटरलॉकिंग लगाने के बाद बीच में खाली छोड़ दिया गया है।जिससे आए दिन लोगों को पैदल चलना भी कठिन होता हैं।इस रोड के संबंध में संबंधित अधिकारियों को कई बार प्रार्थना पत्र भी दिया जा चुका है परंतु कोई भी उचित कार्रवाई नहीं किया गया जिससे लोगों को इस समस्या से निजात मिल सके।
ग्रामीणों का कहना है कि यदि प्रशासन इस सड़क को नहीं बनाती है तो हम लोग जिले स्तर तक प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। आगामी विधानसभा चुनाव 2022 का पूरी तरह बहिष्कार करेंगे।