गोंडा व बलरामपुर

इमाम हुसैन रज़ी अल्लाहू ताला अन्हु के 72 जानिसारों को खिराज-ए-अक़ीदत पेश करते हुए लगाए गए 72 पौदे


सब्र और नमाज़ को अपना हथियार बना लें तो ज़िंदगी की हर जंग आसानी से जीती जा सकती है:मौलाना मुहम्मद आज़म हशमती


20 अगस्त 2021 / प्रैस रीलीज़ / तरब गंज गोंडा
आशूरा के दिन परसदा तरब गंज ज़िला गोंडा में नौजवानों ने इमाम हुसैन रज़ी अल्लाहू ताला अन्हु और आपके तमाम साथीयों को ख़िराज-ए-अक़ीदत पेश करते हुए मौलाना मुहम्मद आज़म हशमती अध्यक्ष पासबान-ए- वतन फ़ाउंडेशन आफ़ इंडिया की क़ियादत में 72 पौदे लगाए। इस मौके पर मौलाना मुहम्मद आज़म हशमती ने बात करते हुए कहा कि इमाम हुसैन रज़ी अल्लाहू ताला अन्हु की पूरी ज़िंदगी सब्र व शुक्र की आईना दार थी। और उन्होंने अपने सब्र के ज़रीया पूरी दुनिया को क़ियामत तक के लिए बता दिया कि किसी भी जंग को सिर्फ हथियार से नहीं जीता जा सकता है। बल्कि सब्र करके और अपनी गर्दन कटा कर भी फ़तह हासिल की जा सकती है. उन्होंने कहा कि ज़ुलम और तशद्दुद के मुकाबले में इमाम हुसैन रज़ी अल्लाहू ताला अन्हु ने सब्र से काम लिया।तशद्दुद का मुक़ाबला तशद्दुद से नहीं किया। और ना ही इस्लाम मैन तशद्दुद की कोई जगह है। इस्लाम अख़लाक़ की तालीम देता है। ज़ुलम-ओ-जौर से मना करता है। एक मुस्लमान को ऐसा होना चाहीए कि इस के अच्छे अमल को देखकर लोग मुतास्सिर हों ना कि इस से नफ़रत करने लगें. इस्लाम तहज़ीब-ओ-अख़लाक़-ओ-इत्तिहाद का अलमबरदार है और अल्लाह का पसंदीदा दीन है। और जो दीन ख़ुदा का पसंदीदा हो इस में ज़ुलम-ओ-तशद्दुद कैसे क़ायम रह सकता है। वो अल्लाह जो रहीम-ओ-करीम है इस के उसूल में तशद्दुद की कोई जगह नहीं है।
उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन रज़ी अल्लाहू ताला अन्हु ने कर्बला के मैदान में तशद्दुद करने वालों को कई बार माफ़ किया।लेकिन उनकी आँखों पर पट्टी पड़ी हुई थी और यज़ीदियों ने आप की नसीहत को क़बूल नहीं किया। मौलाना ने ये भी कहा कि अगर हम आज भी इमाम हुसैन रज़ी अल्लाहू ताला अन्हु की ज़िंदगी से सबक़ लेते हुए सब्र-ओ-नमाज़ को अपना हथियार बना लें तो कामयाबी हमारी मुक़द्दर बन जाएगी
इस मौके पर मशहूर नाज़िम इजलास व समाजी कारकुन, मौलाना जमाल अख़तर सदफ़ गोंडवी ने कहा कि इमाम हुसैन रज़ी अल्लाहू ताला अन्हु की ज़िंदगी से हमें सबक़ हासिल करना चाहीए, कि उन्होंने दीन के लिए अपना घर-बार लुटा दिया हमें भी दीन की सर-बुलंदी के लिए हमेशा ख़ुद को मैदान-ए-अमल में मसरूफ़ रखना चाहीए, मौलाना ने ये भी कहा कि ज़ुलम की बुनियाद पर हुकूमतें थोड़ी देर के लिए कामियाब तो हो सकती हैं,लेकिन वो देर-पा नहीं होती हैं,और एक दिन ज़ालिम को उस की सज़ा ज़रूर मिलती है।। इस लिए किसी को भी ज़ुलम करने से पहले एक-बार उस के अंजाम के बारे में ज़रूर सोचना चाहीए इस मौके पर क़ारी ज़ाकिर हुसैन, क़ारी मुख़तार अहमद वारसी, क़ारी सरताज अहमद,सुहेल अहमद समेत इलाके के नौजवान मौजूद थे.

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