गोरखपुर

क़ुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक का इल्म सबसे आला: मौलाना कमरुद्दीन

अस्करगंज में जलसा

गोरखपुर। अस्करगंज निकट मदीना मस्जिद जलसा-ए-ग़ौसुलवरा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से जलसे का आगाज़ किया गया। नात-ए-पाक मो. अफरोज क़ादरी व रईस अनवर ने पेश की।

मुख्य अतिथि पडरौना (कुशीनगर) के मौलाना मोहम्मद कमरुद्दीन ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जो शख़्स इल्म हासिल करने की राह पर चलता है अल्लाह उसके लिए जन्नत का रास्ता आसान कर देता है। इल्म उसी वक़्त काबिले कद्र व बाइसे रहमत होगा जबकि वह जानने वाले को जन्नत तक पहुंचाने वाला हो। असल इल्म वह है जो क़ुरआनी तालीमात पर मुश्तमिल हो। हमारा यह ईमान है कि उलूमे क़ुरआन व हदीस सबसे आला इल्म है।

अध्यक्षता करते हुए ग़ौसिया मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कहा कि जहां किसी अल्लाह के महबूब बंदे का जिक्र होता है वहां पर अल्लाह की रहमत उतरती है। अल्लाह अपने महबूब बंदों की किसी भी दुआ को रद्द नहीं फरमाता। हम औलिया किराम को अल्लाह का महबूब बंदा मानते हैं और यह अकीदा रखते हैं कि अल्लाह इनकी दुआओं को कभी रद्द नहीं करता, तो अगर यह हमारे हक़ में दुआ कर दें तो हमारा भी भला हो जाएगा। अल्लाह ने औलिया किराम को बहुत ताकत अता फरमाई है। कोई भी बगैर अल्लाह की अता से किसी को कुछ भी नहीं दे सकता और मुसलमानों का अकीदा यही है कि औलिया किराम, अल्लाह की अता से सभी की मदद करते हैं। औलिया किराम अल्लाह की अता व करम से ही मदद करते हैं। हर काम अल्लाह की अता से ही मुमकिन है, उसकी मर्जी के बगैर कोई कुछ भी नहीं कर सकता है।

अंत में सलातो-सलाम पढ़कर अल्लाह से अमनो अमान की दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों ने लंगर-ए-ग़ौसिया खाया। जलसे में तामीर अज़ीज़ी, हाफ़िज़ शाकिब, कारी शमसुद्दीन, मो. मारुफ, कारी अंसारुल हक़ क़ादरी, कारी मो. असलम रज़ा, परवेज अहमद, तारिक अज़ीज़ आदि ने शिरकत की।

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