गोरखपुर। शबे बराअत के मुबारक मौके पर मदरसा क़ादरिया तजवीदुल कुरआन निस्वां इमामबाड़ा अलहदादपुर में शनिवार को औरतों की महफिल सजी। कुरआन ख्वानी व फातिहा ख्वानी की गई। उम्मुल मोमिनीन हज़रत सैयदा उम्मे हबीबा रज़ियल्लाहु अन्हा को शिद्दत से याद किया गया।
आलिमा नौशीन फातिमा ने कहा कि जिनकी फर्ज नमाज़ें छूटी हों वह शबे बराअत में नफिल नमाज़ों की जगह फर्ज कज़ा नमाज़ें पढ़ें। शबे बराअत की रात में नमाज़ पढ़ी जाए और दिन में रोजा रखा जाए।
आलिमा महजबीन सुल्तानी ने कहा कि हज़रत आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं कि पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम शाबान माह में ज्यादा रोजा रखा करते थे।
अर्शिया फातिमा ने कहा कि इस महीनें में गुनाहों की माफी होती है। अल्लाह फरमाता है कि हमारे हुक्म से शबे बराअत में हर हिक्मत वाला काम बांट दिया जाता है और उस काम के फरिश्तों को उन्हें पूरा करने पर लगा दिया जाता है। इस रात में साल का हर पैदा होने वाला और हर मरने वाला आदमी लिखा जाता है। अल्लाह शबे बराअत में तमाम उम्मत पर बनी कल्ब की बकरियों के बालों के बराबर रहमतें नाजिल फरमाता है और बकरियों के बालों के बराबर उम्मत के गुनाहगार अफराद की मगफ़िरत फरमाता है। आलिमाओं ने क़ुरआन व हदीस की रोशनी में शबे बराअत गुजारने का तौर तरीका बताया।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में खैरो बरकत की दुआ मांगी गई। महफिल में नुज़हत परवीन, साहिबा अंसारी, रईसुन निशा, नसरीन बानो, रुबीना फातिमा, शाहजहां बानो, सबीना अंसारी, अस्मां खातून, शबाना परवीन आदि औरतें मौजूद रहीं।