नई दिल्ली: 12 अक्टूबर (एजेंसी)।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सरकार को चेतावनी दी है कि वह सभी मदरसों को राज्य फंडिंग बंद कर दे। एनसीपीसीआर का मानना है कि मदरसे बच्चों को उचित शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं और उनके काम करने का तरीका मनमाना है।
एनसीपीसीआर ने अपनी रिपोर्ट ‘गार्डियन ऑफ फेथ या ऑप्रेसर ऑफ राइट्स: संविधानिक अधिकारों के विरुद्ध मदरसों के बच्चों के अधिकार’ में मदरसों के इतिहास और बच्चों के शैक्षिक अधिकारों के उल्लंघन में उनकी भूमिका का उल्लेख किया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मदरसों को राज्य फंडिंग बंद की जानी चाहिए और मदरसा बोर्डों को समाप्त और बंद कर दिया जाना चाहिए।
एनसीपीसीआर प्रमुख प्रियंक कानूनगो के अनुसार, “शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009, समानता, सामाजिक न्याय और लोकतंत्र जैसे मूल्यों को प्राप्त करने के लिए समावेशी शिक्षा के प्रावधान पर आधारित है। हालांकि, बच्चों के मौलिक अधिकार और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकार के बीच एक विरोधी चित्र बन गया है।”
आयोग ने यह भी कहा है कि केवल एक बोर्ड गठित करना या यूडीआईएसई कोड लेना यह नहीं मतलब है कि मदरसा आरटीई अधिनियम, 2009 के प्रावधानों का पालन कर रहे हैं।