गोरखपुर

इंसानों की रहनुमाई के लिए पैग़ंबरे इस्लाम का जन्म हुआ : मुफ्ती मुनव्वर

तुर्कमानपुर में जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी

गोरखपुर। चूड़ी गली तुर्कमानपुर में ताजुश्शरिया नौजवान कमेटी की ओर से जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी हुआ। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात-ए-पाक पेश की गई। संचालन हाफिज मो. अशरफ रज़ा इस्माईली ने किया। मुख्य वक्ता मुफ्ती मुनव्वर रज़ा ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी पर अर्श से लेकर फर्श तक खुशियां मनाई जाती है। इंसानों की रहनुमाई के लिए 12 रबीउल अव्वल यानी 20 अप्रैल सन् 571 ई. में अरब के मक्का शहर में पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का जन्म हुआ। वालिद का नाम हज़रत अब्दुल्लाह रदियल्लाहु अन्हु था। पैग़ंबरे इस्लाम की ज़ाहिरी ज़िंदगी तिरसठ (63) बरस की हुई। वालिद का इंतकाल विलादत से पहले हो गया। जब आपकी उम्र 6 साल की हुई तो वालिदा हज़रत आमिना रदियल्लाहु अन्हा का इंतक़ाल हो गया। जब आपकी उम्र 8 साल की हुई तो दादा हज़रत अब्दुल मुत्तलिब रदियल्लाहु अन्हु का इंतक़ाल हो गया। जब आपकी उम्र 12 साल की हुई तो आपने मुल्के शाम का तिजारती सफ़र किया और 25 साल की उम्र में मक्का की एक इज्ज़तदार ख़ातून हज़रत ख़दीजा रदियल्लाहु अन्हा के साथ निकाह फ़रमाया और 40 साल की उम्र में एलाने नुबुव्वत फ़ारान की चोटी से फ़रमाया और 53 साल की उम्र में हिजरत की। आपने अल्लाह के पैग़ाम को पूरी दुनिया में पहुंचाया। आपका मजारे मुबारक मदीना शरीफ़ में है जहां पर आशिक-ए-रसूल जियारत कर फैज़याब होते हैं। पैग़ंबरे इस्लाम के कब्र अनवर का अंदरूनी हिस्सा, जो आपके जिस्मे अतहर से लगा हुआ है वह काबा शरीफ व अर्श-ए-आज़म से भी अफ़ज़ल है।

विशिष्ट वक्ता कारी मुहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में तमाम नबियों पर ईमान लाने के साथ इस बात पर भी ईमान लाना ज़रूरी है कि पिछली शरीअतें खत्म हो चुकी हैं, लिहाज़ा दीन-ए-इस्लाम पर अमल करना दोनों जहाँ की कामयाबी के लिए ज़रूरी है। दीन-ए-इस्लाम में ज़िन्दगी के लिए एक मुकम्मल निज़ाम है। दीन-ए-इस्लाम की एक ख़ूबी यह भी है कि इस्लाम ने ईमानियात, इबादात, मुआमलात और मुआशरत में पूरी ज़िन्दगी के लिए इस तरह रहनुमाई की है कि हर शख़्स चौबीस घंटे की ज़िन्दगी का एक-एक लम्हा अल्लाह की तालीमात के मुताबिक अपने नबी-ए-पाक हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तरीक़े पर गुज़ार सके। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। जलसे में मो. शहबाज, मो. वसीम, मो. तौहीद, तौसीफ, अफसर, मो. उजैन, मो. सलीम अहमद, सैयद शेर अली, मो. असलम, हाफिज हुसैन आलम, मो. उबैद रज़ा आदि मौजूद रहे।

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