- उर्स ए आला हजरत के उपलक्ष्य में महिलाओं के लिए इजमेता और पुरुषों का जलसा ए आम संपन्न
- पूरी दुनिया में अमन और शांति के साथ बरकत वाली बारिश के लिए दुआ
जालना: आला हजरत इमाम अहमद रजा खान ना केवल दीनी और दुनियावी मसाइल में महारत रखते थे बल्कि विज्ञान और गणित से जुड़े सभी विषयों में माहिर थे. चाहे फिर गणित के कठिन मसले हो, या सही वक्त बताना हो या फिर भूगोल और चांद तारों की एक दूसरे से दूरी मापने का विषय हो सभी विषयों पर उन्होंने दर्जनों किताबें लिखी है. यह वजह है कि आज दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में उनके जीवन के अलग अलग पहलुओं पर रिसर्च चल रहा है तथा पीएचडी प्रदान की जा रही है.
इस तरह के ख्याल जालना के बुºहाण नगर में उर्स ए आला हजरत के उपलक्ष्य में आयोजित महिलाओं के लिए इज्तेमा तथा पुरुष के लिए संपन्न हुए जलसे ए आम में पेश किए गए.
महिलाओं के लिए इजतेमा संपन्न
उर्स ए आला हजरत के उपलक्ष्य में सोमवार १ सितंबर को दोपहर दो बजे से से चार बजे तक बुºहाणनगर स्थित मदरसे अहले सुन्नत लिल बनात में अजीमोशान इजतेमा संपन्न हुआ. जिसमें मरदसे की छात्राओं ने आला हजरत की सीरत और इस्लाहे मुआशरा पर तालीमी मुजाहिरा पेश किया.
इस समय जरीन फातिमा ने कुरान की तिलावत की. हनफिया फामिता ने हमद प्रस्तुत की. अमरीन फातिमा, उरुज फातेमा, असलेहा फातेमा, महविश फातेमा आदि ने नात व मनकबत और बयान पेश किए. मदरसे की प्रिंसिपल फाजेला अलीमुन्नीसा ने सीरत ए आला हजरत पर इस्लाही गुफ्तगू फरमाते हुए नमाज की अहमियत, परदे की अहमियत, मां-बाप की फजीलत, शोहर-बीवी के हुकूक, औलाद के हुकूक पर मार्गदर्शन किया. सलातो सलाम के बाद आलेमा सफुरा शारमीन ने पूरी दुनिया में अमन और शांति की दुआ की.
बाद नमाजे जोहर बुºहाणनगर स्थित हसनिया मस्जिद में कुरान खानी, फातिहा खानी, कुल शरीफ और अमन व शांति के साथ ही बरकत वाली बारिश के लिए दुआ की गई.
जलसा संपन्न
बाद नमाजे ईशा मस्जिद में आला हजरत की जीवनी को लेकर विशेष बयान हुआ. इस समय काजी मौलाना अल्लाह बख्श अमजदी ने बताया कि, आला हजरत इल्मों अमल, फजलो कमाल, जोहदो तकवा के बेताज बादशाह थे और एक महान वैज्ञानिक भी थे. आप को ५० से ज्यादा उलूम (विषयों) पर महारत हासिल थी. आप ने एक हजार से ज्यादा किताबें लिखी. आप आलीमे रब्बानी, मुहद्दिस, मुफक्किर, मुजद्दिद जैसे अजीम मनसब पर रहकर पूरी जिंदगी मखलूक की खिदम में गुजारी. आप उलूमें दुनिया के अलावा जदीद उलूम (विविध विषयों)में भी महारत रखते थे. जदीद उलूम पर आप की १०० से ज्यादा किताबें मौजूद है. ४ साल की उम्र में नाजरा कुरान मुकम्मल किया. ६ साल की उम्र में मजमा ए आम में अजमते मुस्तफा पर बयान फरमाया. ८ साल की उम्र में अरबी जबान में किताब लिखी. १३ साल पांच माह की उम्र में तमाम उलूम से फरागत हासिल करते हुए फतवा देना शुरू किया. चंद उलूम के नाम ये है इल्म ए तकसीर, गणित, विज्ञान, भूगोल, आवाज से संबंधित विज्ञान, सही वक्त बताने का इल्म, इल्म ए नजूम, इल्म ए खला पयमाई (डिस्टेंस), इल्म ए सियासत, बैंकिंग, डॉक्टरी से जुड़ा इल्म के साथ ही उर्दू, अरबी, फारसी, हिंदी, संस्कृत भाषाओं पर पकड़ के साथ ही मनतीक(दिमाग से जुड़े विषय) सहित ५० से अधिक विषयों पर महारत रखते थे.नमाज रोजे, हज व जकात आदि अहकाम के सख्त पाबंद थे.
*मक्का शरीफ में बुखार के आलम में सिर्फ ८ घन्टे में २०० से ज्यादा पेज पर मुस्तमिल अरबी जबान में किताब लिखी. जिसका नाम दौलतुल मक्किया. इसके अलावा आपकी मशहूर किताबों में कनजुल इमान, फतावा रजविया, हदाईके बख्शीश, अहकामे शरियत आदि है.
सलातो सलाम और मौलाना अल्लाह बख्श अमजदी की दुआ पर जलसे का समापन हुआ.