- आला हज़रत बहुत बड़े मुजद्दिद, मुहद्दिस, मुफ्ती, लेखक व शायर थे: मौलाना जहांगीर
गोरखपुर। गुरुवार को मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाज़ार व मदरसा जियाउल उलूम पुराना गोरखपुर गोरखनाथ में मुजद्दिदे आज़म आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक अलग अंदाज में मनाया गया। मदरसे के छात्रों के बीच जबरदस्त इल्मी मुकाबला हुआ। बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले छात्रों शहीद रज़ा, अबू तलहा, मो. फैयाज, अब्दुल कय्यूम, अदालत हुसैन, एमादुद्दीन, हाफिज महमूद रज़ा कादरी, कैसर रज़ा, मो. ऐश, फैजान अत्तारी, मो. अनस, मो. नियाज, मो. नसरुद्दीन, मो. आज़म, सिराज अहमद, शारिक अली, मो. जीशान, नूर मोहम्मद, मो. दारैन, मो. वासिफ, इरफान अली, महफूज आलम, मो. अमन, तनवीर आलम, उमर शादाब आदि को ऑल इण्डिया काउंसिल ऑफ मदरसा स्टूडेंट्स ने अमामा शरीफ, दीनी पुस्तक, इत्र व मेडल से नवाज़ा।
शिक्षक मौलाना जहांगीर अहमद अजीजी ने कहा कि आला हज़रत इमाम अहमद रजा खां अलैहिर्रहमां बहुत बड़े मुजद्दिद, मुहद्दिस, मुफ्ती, आलिम, हाफिज़, लेखक, शायर, भाषाविद्, युग प्रवर्तक तथा समाज सुधारक थे। सिर्फ तेरह साल की कम उम्र में मुफ्ती बने।
हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि आला हज़रत दीन-ए-इस्लाम, विज्ञान, अर्थव्यवस्था, गणित, जीव विज्ञान, भूगोल, दर्शनशास्त्र, शायरी, चिकित्सा, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, वनस्पति विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान सहित 55 से अधिक विषयों के विशेषज्ञ थे।
कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि आला हज़रत ने दीन-ए-इस्लाम, साइंस, अर्थव्यवस्था और कई विषयों पर एक हजार से ज्यादा किताबें लिखीं। आला हज़रत को पचपन से ज्यादा विषयों पर महारत हासिल थी। उनका एक प्रमुख ग्रंथ ‘फतावा रजविया’ इस सदी के इस्लामी कानून का अच्छा उदाहरण है। उर्दू जुबान में कुरआन का तर्जुमा ‘कंजुल ईमान’ विश्वविख्यात है। उलमा-ए-अरब व अज़म सबने आपकी इल्मी लियाकत का लोहा माना। आला हज़रत मुसलमानों की आन, बान, शान हैं।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। इस मौके पर मौलाना नूरुज्जमा मिस्बाही, हाफिज नजरे आलम कादरी, मौलाना नूरुलहोदा, मौलाना जमील अख्तर, मौलाना जमील अख्तर, नजरुल हसन, मुजफ्फर, अबूजर नियाजी, शाह आलम, फरोग, कारी कासिम, मौलाना इदरीस, सूफी निसार, इसहाक, गुलाम मुहीउद्दीन, इसराक, अंजुम, फुरकान, शादाब, सलीम आदि मौजूद रहे।