गोरखपुर

चहल्लुम की तैयारियां पूरी, अकीदत के साथ निकलेंगे जुलूस

  • कर्बला के शहीदों ने अपनी जान की बाजी लगाकर इस्लाम को बचा लिया: अब्दुल्लाह
  • कर्बला के शहीदों ने हक के नाम पर मौत को मसीहा कर दिया: हाजी कलीम अहमद फरजंद

गोरखपुर। चहल्लुम की तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। 18 सितंबर को जहां महानगर के विभिन्न स्थानों से मुतवल्लियों द्वारा चहल्लुम का जुलूस बड़े ही अकीदत के साथ निकाला जायेगा। इस मौके पर अकीदतमंदों द्वारा नियाज – फातेहां के रस्म को अदा किया जाता है। चहल्लुम के मौके पर महानगर के मुहल्ला अस्करगंज, मिर्जापुर, जाफरा बाजार, खूनीपुर बजरंग आयल मिल, बसंतपुर, इलाहीबाग, पिपरापुर आदि स्थानों से जुलूस निकलेगा। वहीं जनपद के तहसील और ब्लाक से भी जुलूस निकाले जायेंगे। ज्यादातर गांव में चहल्लुम के दिन ताज़ियदारी की रस्म अदा की जाती है।
गांव वाले बेहतरीन से बेहतरीन ऊंचे से ऊंचा ताजिया बनाने की परम्परागत को कायम किए हुए हैं। एक दूसरे के मुकाबले में चले आ रहे हैं। गांव में खूबसूरत ताज़िये को देखकर नजरें ना हटाने को दिल चाहता है। ताजिया में मदीना मुनव्वरा का नक्शा, काबा शरीफ का नक्शा, मस्जिद – ए – अक्सा का नक़्शा, रौज – ए – हुसैन के साथ-साथ ऐसे रंग बिरंगी डिजाइन होते हैं। जैसे आसमान में तारे खिल रहे हों।
इमामचौक मुतवल्ली एक्शन कमेटी के अध्यक्ष अब्दुल्लाह एवं कन्वीनर हाजी कलीम अहमद फरजंद ने कहा कि मुहर्रम – उल – हराम मनाने के बाद लोग चहलुम की तैयारियों में लग जाते हैं। 40 दिन के बाद ताज़ियाें की मुकम्मल तैयारी हो जाती है। इस ताजिया को अकीदतमंद कर्बला तक लेकर जाते हैं और ज्यादा अच्छा ताजिया बनाने वालों को इनाम से नवाज़ा जाता है। अब्दुल्लाह और फरजंद ने कहा कि मुहर्रम – उल – हराम की 10 तारीख से लेकर के 40 दिन तक कर्बला के शहीदों ने अपने प्राणों की आहुति देकर इस्लाम को जिंदा कर दिया। ‘जिंदा हो जाते हैं वह जो मरते हक के नाम पर’ अल्लाह – अल्लाह मौत को किसने मसीहा कर दिया’।

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