काविश-ए-फिक्र: नासिर मनेरी मेरे सरकार मुझ पर भी करम इक बार हो जाएतड़पता हूँ पए दीदार अब दीदार हो जाए मिरे ऐ ना-खुदा कश्ती लगा दो पार अब मेरीभँवर में है फँसा मेरा सफीना पार हो जाए मुबारक अंदलीबो! तुम को तैबा के गुल-ओ-गुलशनमिरे हिस्से में बस तैबा का यारब ख़ार हो जाए सफर में […]