लेखक: नौशाद अहमद ज़ैब रज़वी आलाहज़रत अज़ीमुल बरकत रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि 70000 कल्मा शरीफ पढ़कर अगर मुर्दे को बख्शा जाए तो दोनों के लिए ज़रियये निजात होगा,और पढ़ने वाले को दुगना सवाब और 2 को बख्शा तो तिगना युंही करोड़ो बल्कि कुल मोमेनीन मोमेनात को बख्शा तो उसी निस्बत से पढ़ने वाले […]
