लेखक: अब्दुल मुस्तफा, झारखण्ड सलजूक़ी बादशाहों के नामवर वज़ीर निज़ामुल मुल्क ने जब सल्तनत के तूलो अर्द में तालीमी इदारों का जाल बिछा दिया और तालीम के लिये इतनी बड़ी रक़म खर्च की कि तलबा (पढ़ने वाले) किताबों की फराहमी और दूसरे खर्चों से बे नियाज़ हो गये तो सुल्तान मलिक शाह ने फरामया कि […]