धार्मिक

लाख गुनहगार है लेकिन मेरे सहाबा का गुस्ताख तो नहीं

लेखक: अब्दे मुस्तफा इमाम अहमद बिन हम्बल रहमहुल्लाह के पड़ोस में एक फासिक़ो फाजिर शख्स रहता था।एक दिन उसने इमाम अहमद बिन हम्बल रहीमहुल्लाह को सलाम किया तो आपने सहीह से जवाब ना दिया और नाखुशी का इज़हार किया। उस शख्स ने कहा : ए अबु अब्दुल्लाह! आप मुझसे नाखुश क्यों हैं? आपको मेरे (गुनाहों […]