धार्मिक

ग़ुस्ल (स्नान) के मसाइल

लेखक:मह़मूद रज़ा क़ादरी, गोरखपुर बिना ग़ुस्ल यह काम नहीं कर सकते मस्जिद में जाना। तवाफ़ करना। क़ुरआन शरीफ़़ छूना चाहे उसका सादा हाशिया या जिल्द वग़ैरा ही हो। बिना छुए देख कर या ज़ुबानी क़ुरआन पाक पढ़ना। आयत का लिखना या आयत का तावीज़ लिखना या ऐसा तावीज़ छूना। ऐसी अँगूठी पहनना जिसमें हुरूफ़े मुक़त्तयात […]