गोरखपुर। नौवीं मुहर्रम को अकीदतमंदों ने विविध तरीकों से हज़रत सैयदना इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों को खिराजे अकीदत पेश किया। महफ़िल व मजलिसों में जिक्रे इमाम हुसैन और दीन-ए-इस्लाम के लिए दी गई उनकी कुर्बानी को याद कर लोग गमगीन हो गए। मस्जिदों में जिक्रे शोह-दाए-कर्बला महफिल में अहले बैत के फजाइल बयान किए गए। इमाम हुसैन, अहले बैत व कर्बला के शहीदों की याद में क़ुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी हुई। जिन लोगों ने नौवीं मुहर्रम को रोज़ा रखा था उन्होंने रोज़ा खोलकर अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए इबादत की। अकीदतमंदों ने घर व मस्जिद में क़ुरआन शरीफ़ की तिलावत की। अल्लाह का जिक्र किया। दरूदो सलाम का नज़राना पेश किया। पूरा दिन हज़रत इमाम हुसैन की कुर्बानियों को याद करते हुए बीता।
इमाम चौकों पर रखी गई ताजिया
गोरखपुर। नवीं मुहर्रम को हज़रत सैयदना इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत को याद करते हुए शाम के समय तमाम इमाम चौकों पर छोटे-बड़े ताजिया रख कर फातिहा पढ़ी गई। इमाम चौकों पर शर्बत व मलीदा पर भी फातिहा ख्वानी की गई। हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियों के वसीले से दुआ व मन्नत मांगी गई। विभिन्न इमाम चौकों व घरों में मलीदा, शर्बत, खिचड़ा व बिरयानी बनाकर अकीदतमंदों में बांटा गया। अकीदतमंदों ने इमाम चौकों पर बड़े ताजिया के साथ छोटे ताजिया मन्नत के तौर पर रखे। कई क्षेत्रों में अकीदतमंद छोटी-छोटी ताजिया खरीदते दिखे। मियां बाज़ार स्थित इमामबाड़ा व जाफ़रा बाजार स्थित कर्बला में फातिहा ख्वानी के लिए अकीदतमंदों की भीड़ उमड़ी।