गोरखपुर। शहर की मस्जिदों में चल रहे रमज़ान के विशेष दर्स के दौरान उलमा-ए-किराम ने रोजे के फजाइल बयान किए। वहीं हज़रत सैयदना इमाम हसन रदियल्लाहु अन्हु की यौमे विलादत पर खास तकरीर की। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि हज़रत सैयदना इमाम हसन के पिता हज़रत सैयदना अली तथा आपकी माता हज़रत फ़ातिमा ज़हरा थीं। आपका जन्म सन् तीन हिजरी 15 रमज़ानुल मुबारक को मदीना में हुआ था। आपकी सूरत पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से बहुत अधिक मिलती थी। आपका पालन पोषण आपके माता-पिता व आपके नाना पैग़ंबर-ए-आज़म की देखरेख में हुआ तथा इन तीनों महान हस्तियों ने मिलकर हज़रत इमाम हसन में मानवता के समस्त गुणों को विकसित किया। भलाई करना, हज़रत इमाम हसन के व्यक्तित्व की विशेष पहचान है। हज़रत इमाम हसन वंचितों और पीड़ितों की आशा की किरण थे। हज़रत इमाम हसन बहुत अधिक नैतिकता और इंसानी गुणों के स्वामी थे, वह विनम्र, सम्मानिय, सुशील, दानी, क्षमा करने वाले और लोगों के मध्य पसंदीदा महान हस्ती थे। आपकी शहादत सफ़र माह की 28 तारीख़ को हुई। आपके पीने के पानी मे ज़हर मिला दिया गया था, यही ज़हर आपकी शहादत का कारण बना। आपका मजार जन्नतुल बक़ी में है।
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