जगदीश सिंह, सम्पादक
राष्ट्रीय हिन्दी साप्ताहिक मऊ क्रांति
“जिन्हें महसूस इंसानों के, रंजो-गम नहीं होते
आज सम्पुर्ण उत्तर प्रदेश का परिवेश बदला हुआ है।पत्रकारों की कलम को रोकने के लिये प्रशासन ने योगी सरकार के कार्यभार संभालते ही कार्वाही शुरु कर दिया है।भ्रष्टाचारी अफसरान कलमकार से हमेशा रहते हैं परेशान! ऐसे मैं योगी सरकार का वाक ओबर बन गया बरदान ?भरष्टाचारी लोकतन्त्र की हत्या का साजो सामान तैयार कर खड़ा कर दिये समस्या! अगर पत्रकार गलत है तो सजा मिले! लेकिन अगर वह पत्रकारिता धर्म का निर्वाह कर रहा है!भ्रष्टाचार का जान जोखिम में डालकर खुलाशा रहा है! तो फिर कैसी कार्यवाही!क्यो कार्यवाही?उस बहादुर पत्रकार को मिलनी चाहीये बाहबाही तो भेज दिया जेल!ऐ तो गजब का है नादिरशाही खेल है! आप के शासन में भ्रष्टाचारी कुंडली मार कर बैठा हैं! दुबारा आप के सत्ता में आने के बाद बौखलाहट में है।सरकार को बदनाम करने के लिये हर गलत काम करेंगा?
भ्रष्टाचारीयों का सिंडीकेट सक्रिय है!सवाल बलिया में गिरफ्तार पत्रकार का नहीं है! सवाल ब्यवस्था का है! आखिर वहां का खुफिया तंत्र क्या कर रहा था?योगी जी आप के ईमानदार जिलाधिकारी कहां सो रहे थे आप के बहादुर कप्तान कौन सा चला रहे थे अभियान? उनको खूलेयान नकल पर्चा लीक की खबर क्यो नही हुयी! जब की लगातार पर्चा लीक हो रहा था! खुलेयाम भ्रष्टाचार का खेल बलिया में चल रहा था!इसकी भनक क्यो नही लगी बहादुर अफसरों को! ये तो सरकार बदलने का मुगालता पाल अखिलेश सरकार को मानकर भ्रष्टाचार की इबारत पहले से ही लिख बैठे थे!!मगर खोजी पत्रकार ने इस भ्रष्टाचार का खुलासा कर दिया! बलिया ज़िला प्रशासन के भरषृटाचार का खुलासा कर दिया!हड़कंप मचना स्वाभाविक था !अखिलेश के जगह योगी जो दोबारा आ गये सत्ता में?!भ्रष्टाचारीयों को योगी का हन्टर सताने लगा! बौखलायेआधिकारी खिसीयानी बिल्ली खम्भा नोचे वाली कहावत चरितार्थ कर डाले? पत्रकारो को मुजरिम बनाकर जेल भेज दिये!खुद ही अपनी पोल खोल दिये! लोकतन्त्र के स्वतन्त्र आवरण में ब्यवस्था का खुलेयाम चीरहरण भ्रष्टाचारीयों ने कर दिया! आज सारे देश के पत्रकार आन्दोलित है। सच की इबारत लिखने वाले ब्यथित है। पत्रकार समाज ने जो आगाज किया है उसका अन्जाम कभी भी सुखद अब नहीं होगा!योगी सरकार को डामिनेट करने के लिये मौके की तलास में बैठे बिपक्षको अच्छा मौका मिलगया है! कल तक पत्रकारों को जी भर कर कोसने वाले अब पत्रकारो के समर्थन में कसीदे पढ़ने लगे हैघं!बढ़-चढ़ कर आन्दोलन करने लगे!पत्रकारों को सुरक्षा मुहैया कराने के बजाय पत्रकारों को हीअपराधी इस सरकार ने बना दिया? हिटलर के इतिहासको दोहरा दिया!यह पहली बार देखा जा रहा है कि देश के सारे पत्रकार संगठन एक साथ हो गये है। बलिया कानपुर आगरा महोबा में पत्रकार के अधिकार को प्रशासन ने रौंद दिया !हद की सीमा पार कर दिया है।इसका भरपूर ज़बाब जरुरी है! यह आज की मजबूरी है?पत्रकार साथियों को सारा गिला शिकवा छोड़कर एक मंच पर अपने अधिकार की लडाई लड़नी होगी! वर्ना इस निरंकुश प्रशासन के सहारे सियासी मुखिया आसन मारकर सिंहासन से तुगलकी फरमान जारी करते रहेगे!जागरुकता का जिस तरह आगाज हुआ है! अन्जाम भी बलन्दी का होगा! बस अन्धेरे को मिटाने के लिये दिया जलाते रहीये ?
मन्जिल के जूस्तजू में मेरा कारवां तो है
हर सुबह शाम पत्रकार उत्पीड़न की घटनाओं पर चर्चा ही बिपक्षी नेताओं को भरपूर आक्सीजन दिया है।जो अब सड़क पर पत्रकारों के समर्थन में उतर रहे हैं!वो उसके साथ ही अपना मकसद भी पूरा करना चाहेगे!सरकार किसी की भी हो पत्रकार हमेशा उपेक्षित रहा है!लेकिन पहचान उसकी आम आदमी से हटकर जरूर रही है! जिसको योगी सरकार मटियामेट कर दी है।कलमकारों के दिलों में जहर भर दी है।
उनसे कह दो रंजोगम पैदा न करें!
चमन से गुजरे मगर चमन को रौदि न करें!
कह दो अदालत से गुजरे गवाहों से !
झूठ तो बोले मगर झूठ का सौदा न करे!??
आज हालात तमाम सवालात को लिये हवालात में बन्द पत्रकारों के साथ हो रहे अन्याय देश के सामने ज्वलन्त मुद्दा बनता जा रहा है।अपराधियो के बराबर पत्रकार को रखकर जिस हिटलरशाही अन्दाज में कार्यवाही की जा रही है वह स्वस्थ लोकतन्त्र के लिये घातक है! जो कुछ भी हो योगी सरकार का जब भी इतिहास लिखा जायेगा हिटलरशाही को याद किया जायेगा,! सरकार अपनी छबि स्वक्ष रखना चाहती है तो पत्रकारों से सम्बन्धित मामलो की निष्पक्ष जांच कराकर मामले का खुलासा करावे? तथा दोषियों पर सख्त कार्वाही सुनिश्चित करें!ताकि भविष्य में पत्रकारों को फर्जी फंसाकर उत्पीड़न की घटनाओं पर रोक लग सके!
जयहिंद