गोरखपुर

वलियों ने अल्लाह की इबादत व याद में अपनी ज़ात को फ़ना कर दिया: उलमा-ए-किराम

गोरखपुर। गुरुवार को घोसीपुर में महफिल-ए-ग़ौसलुवरा सजी। ग़ौसे आज़म हज़रत सैयदना शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां को शिद्दत से याद किया गया। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने की। नात व मनकबत कासिद रज़ा इस्माइली ने पेश की। संचालन मौलाना इसहाक खान ने किया।

अध्यक्षता करते हुए मुफ़्ती अख़्तर हुसैन मन्नानी (मुफ़्ती-ए-शहर) ने कहा कि वलियों (अल्लाह के नेक बंदे) की बारगाह से तौहीद, इत्तेहाद और भाईचारगी का सबक मिलता है। वलियों को मानना यकीनन खुश नसीबी है। वलियों ने अल्लाह की इबादत व याद में अपनी ज़ात को फ़ना कर दिया तो अल्लाह ने भी उनके दर्जात को बुलंद कर दिया।

विशिष्ट वक्ता सुब्हानिया जामा मस्जिद तकिया कवलदह के इमाम मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि इस्लामी तालीमात, क़ुरआन और हदीस का सबक अल्लाह के वलियों के नज़रियात से अगर हासिल किया जाए तो ज़िदंगी में कभी गुमराही और दीन-ए-इस्लाम से दूरी नहीं हो सकती। अल्लाह के वलियों को अल्लाह के सिवा किसी का खौफ़ नहीं होता है।

मुख्य वक्ता मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब क़ाज़ी) ने कहा कि ग़ौसे आज़म हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां ने दीन-ए-इस्लाम की बुनियाद मजबूत की। जिन्होंने अल्लाह की वहदानियत और क़ुरआन की अज़मत का आईना दिखाया। नेक लोगों का जिक्र ईमान और अकीदे में मजबूती पैदा करने का बेहतरीन जरिया है। अल्लाह के महबूब बंदों (वलियों) से मोहब्बत इसी लिए की जाती है कि वो अल्लाह के महबूब हैं, तो उनसे मोहब्बत करना हक़ीक़त में अल्लाह ही से मोहब्बत करना है। वलियों ने अल्लाह से मोहब्बत की है इसलिए अल्लाह ने अपने इन महबूबों की मोहब्बत को अपने बंदों के दिलों में डाल दिया है। जो अल्लाह का हो जाता है तो सारी कायनात उसकी हो जाती है।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन शांति की दुआ मांगी गई। अकीदतमंदों को लंगर-ए-ग़ौसिया खिलाया गया। जलसे में सैयद मोहम्मद काशिफ, सैयद शारिक, ओसामा, अलतमश, अमन, मो. फैज़, शम्स, मो. अफरोज क़ादरी, मो. अमन, मुश्ताकुर्रहमान, सैयद नदीम अहमद, सैयद शम्स आलम, हाफ़िज़ मो. शाकिब, नेमतुल्लाह चिश्ती आदि ने शिरकत की।

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