गोरखपुर शैक्षिक संस्थानों से

उर्दू भाषा हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है: प्रोफेसर पूनम टंडन

सर सय्यद पर आधारित प्रो असगर अब्बास का शोध आधिकारिक महत्व रखता है: प्रो अब्बास रजा नय्यर

उर्दू के नामचीन स्कॉलर और आलोचक प्रोफेसर असगर अब्बास की याद में शहर की मारूफ संस्था यासमीन शरीफ वेलफेयर सोसाइटी व फखरुद्दीन अली अहमद मेमोरियल कमेटी लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में 05 अक्टूबर को एम एस आई इंटर कॉलेज बख्शीपुर के सभागार में एक संगोष्ठी का संपन्न हुआ। प्रोफेसर असगर अब्बास अधिष्ठाता, कला संकाय, अलीगढ़ मुस्लिम, यूनिवर्सिटी के पद रिटायर हुए
इस अवसर पर एक मुशायरे का भी आयोजन हुआ। उक्त प्रोग्राम प्रोफेसर चितरंजन मिश्र, पूर्व कुलपति, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वद्यालय, वर्धा की अध्यक्षता में आयोजित हुई। जबकि प्रोफेसर पूनम टंडन, कुलपति दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर बतौर मुख्य अतिथि शरीक हुईं। सोसाइटी के सेक्रेट्री डॉक्टर अशफाक अहमद उमर ने स्वागत भाषण दिया। गुलदस्ते और अंगवस्त्र से मेहमानों का स्वागत किया गया। इस के बाद शहर के नौजवान शायर वसीम मज़हर ने प्रो पूनम टंडन की शान में स्वागत गीत प्रस्तुत किया।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर चितरंजन मिश्र ने कहा कि प्रोफेसर असगर अब्बास ने उर्दू भाषा और साहित्य की सेवा में महत्वपूर्ण योगदान अदा किया।
मुख्य अतिथि प्रोफेसर पूनम टंडन के अपने उद्बोधन में कहा कि उर्दू भाषा हिंदुस्तान की गंगा जमुनी तहज़ीब का प्रतीक है। इस भाषा ने हिंदुस्तान को एक धागे में पिरोया।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर अब्बास रज़ा नय्यर, अध्यक्ष, उर्दू विभाग, लखनऊ यूनिवर्सिटी ने प्रोफेसर असगर अब्बास के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सर सैयद के हवाले से उन का शोध आधिकारिक हैसियत रखता है। उन्होंने एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिखीं।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर राजवंत राव, अध्यक्ष, उर्दू विभाग ने कहा कि यासमीन शरीफ वेलफेयर सोसाइटी उर्दू भाषा, साहित्य और समाज के लिए सकारात्मक कार्य कर रही है। अति विशिष्ट अतिथियों में डॉ दुष्यंत सिंह, डॉ कमलेश त्रिपाठी, कामरान खान, सदस्य हज हाउस और मुख्तार अहमद शामिल रहे। सोसाइटी के सेक्रेट्री डॉ अशफाक अहमद उमर बधाई के पात्र हैं। प्रो असगर अब्बास पर विचार व्यक्त करने वालों में डॉ नुजहत फातमा, अब्दुल्ला चिश्ती और मुहम्मद तौफीक आदि विशेष रूप शामिल रहे।
इस अवसर पर आयोजित मुशायरे में डॉ फरीद क़मर सरवत जमाल, नसीम सलेमपुरी, तौफीक साहिर, डॉ अर्शी बस्तवी, मैकश आज़मी, फर्रुख जमाल, डॉ चारु शीला सिंह, अब्दुल्ला जामी, मिस्बाह अंसारी और सलीम मज़हर ने अपने कलाम सुनाए।
इस मौक़े पर पत्रकारों और शहर के मशहूर अदीबों एवं साहित्यकारों को उर्दू भाषा और साहित्य के विकास के लिए सम्मानित किया गया। मु. आतिफ, इंकलाब अफ़ज़ल खान, सहारा उर्दू और इरफान सिद्दीकी आग एहतेशाम अफसर, इंकलाब को सोसाइटी की तरफ से सम्मानित किया है। डॉ मुहम्मद अशरफ़ को सलाम संदेलवी अवॉर्ड, डॉ ताजवर को सैयद हामिद अवॉर्ड, डॉ महबूब हसन को प्रोफेसर अहमर लारी अवॉर्ड और डॉ नुसरत अतीक को डॉ गुलाम रसूल मकरानी अवॉर्ड, डॉ औबेदुल्ला चौधरी को अख्तर बस्तवी अवॉर्ड, महबूब सईद हारीस को प्रोफेसर अफगानुल्लाह अवॉर्ड, हाफीज नसीरुद्दीन को मुस्लिम अंसारी अवॉर्ड, रौशन सिद्दीकी को मास्टर अहमर गोरखपुरी और अनवर जिया को शेख जग्गू अवॉर्ड दिया गया। प्रोग्राम में शहर की अहम शख्सियत मौजूद रहीं। गोरखपुर विश्वविद्यालय के प्रो गौर हरि बेहरा, अंग्रेजी विभाग और डॉ महेंद्र कुमार सिंह, राजनीति विभाग मुख्य रूप से शामिल रहे। प्रो बदरे आलम, हाफिज इनामुल्लाह, सय्यद आसिम रउफ, ओमैर जी, क़ाज़ी कलिमुल हक़, अनवर जमाल , ओबैदुल्लाह, शारिक अंसारी , सय्यद इफ्राहीम, डॉ ताहिर अली , मसरुरु जमाल, डॉ दीपांकर, श्री कृष्णा , मोहम्मद , मनीष तिवारी, डॉ ओबैदुल्लाह चौधरी, मोहम्मद आज़म, नावेद , अल्मास , मोहम्मद अनीसँ शाहजमाँ, मोहम्मद शाहिद, महेश अश्क़, फ़ुरक़ान फरहत, अहमद सिद्दीके मजाज़ आदि भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन डॉ कलीम कैंसर और धन्यवाद ज्ञापन डॉ रूशदा कुदसिया ने दिया।

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