पाकिस्तान में 47 साल में अब तक की सबसे भयंकर बाढ़ (Pakistan Flood) आई है. रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि मुल्क का एक तिहाई हिस्सा बाढ़ से प्रभावित हुआ है. पाकिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) के मुताबिक, मानसूनी भारी बारिश और ग्लेशियर के पिघलने से यह भयावह बाढ़ आई है. बाढ़ के कारण 14 जून से अब तक 1265 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें पिछले 24 घंटों में ही 57 लोगों ने जान गंवाई है. वहीं, अब तक साढ़े 12 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. बाढ़ की वजह से 3.3 करोड़ से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं. लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं. पाकिस्तान ने इस आपदा की तुलना अमेरिका में 2005 में आये ‘कैटरीना’ तूफान से की, जिससे वहां भयंकर तबाही हुई थी. पाकिस्तान की सरकार ने अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल उसे मदद उपलब्ध कराने की गुहार लगाई है. कुदरत की मार झेल रहे पाकिस्तान को लेकर आशंका जताई जा रही है कि किसी भी वक्त वहां जनता का गुस्सा फूट सकता है और वो सड़क पर उतर सकती है. महंगाई, भुखमरी, लोगों का विस्थापन और महामारी फैलने की आशंका ने देश को भारी संकट में ला दिया है. हालात गृहयुद्ध जैसे हो गए हैं. बाढ़ के बीच जारी है सियासत पाकिस्तान में गृहयुद्ध जैसे हालात की आशंका दरअसल, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष जैसे एजेंसियों ने जताई है. इसके पीछे बाढ़ जनित समस्याएं तो वजह है ही, साथ ही पाकिस्तान की सियासत भी एक कारण है. पीएमएल-एन नीत शहबाज शरीफ सरकार के खिलाफ पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी और उसके मुखिया इमरान खान पहले से ही उग्र हैं. इन हालातों में भी वह सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं,
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