- बाराबंकी में सिरौलीगौसपुर तहसील क्षेत्र के तेलवारी गांव में कटान कर रहा सरयू नदी का पानी
अबू शहमा अंसारी
गनेशपुर/ कोटवाधाम (बाराबंकी)। सरयू नदी लाल निशान को पार कर खतरे के निशान से तीन सेमी ऊपर बह रही है। नदी का पानी तराई के करीब दो दर्जन गांवों तक पहुंच गया है इसके अलावा एक दर्जन से ज्यादा मकान नदी के निशाने पर आ गए हैैं। नदी का रुप देख तराई के लोग सहम गए हैं और गांवों से सुरक्षित स्थानों के लिए पलायन तेज हो गया है।
यहां के लोगों का आरोप है कि इतना कुछ होने के बावजूद प्रशासन की ओर से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है सूचना देने के बाद भी अधिकारी मौके तक नहीं पहुंच रहे हैं जिससे तराई के लोगों ने प्रशासनिक मदद की आस भी छोड़ दी है।
एल्गिन ब्रिज पर बने कंट्रोल रुम के अनुसार सरयू नदी का पानी खतरे के निशान पार कर तीन सेमी ऊपर बह रहा है नदी का पानी अभी बढ़ रहा है। नदी के जलस्तर में अचाकन बढ़ोत्तरी के कारण संजय सेतु के पास हो रही कटान में कमी जरुर आई है। उफनाई सरयू का पानी तराई के सनावा, गोबरहा, तेलवारी, परसावल, मंझारायपुर, नव्वनपुरवा समेत करीब दो दर्जन से अधिक गांवों तक पहुंच गया है।वहीं इन गांवों के एक दर्जन से अधिक मकान कटान की जद में आ गए हैं इन मकानों का कभी भी अस्तित्व मिट सकता है। नदी के बढ़ते जलस्तर को देख तराई के लोग सहम गए हैं और परिवारीजनों के साथ ही सुरिक्षत स्थानों के लिए पलायन तेज कर दिया है।
यहां के लोगों का आरोप है कि उन्हें गांव से बाहर निकलने के लिए भी प्रशासन की ओर से पर्याप्त नावें नहीं मिल रही है जिसके कारण लोग निजी नावों के सहारे सुरक्षित स्थानों पर जा रहे हैं। इसके अलावा बसंतपुर, पत्रा गांव में सरयू नदी कटान कर रही है। जिससे दर्जनों घर घाघरा नदी के निशाने पर हैं। राममनोहर, लखराज, प्रमोद, हरिप्रसाद यादव राम बहादुर, पप्पू, महेन्द्र, राजबहादुर आदि के घरों पर खतरा मंडरा रहा है।
नदी में समाते खेतों-मकानों को देख पलायन शुरू
टिकैतनगर। बसंतपुर गांव में नदी की तरफ बचे मकानों में पहला मकान हरिप्रसाद का है। नदी उनके घर से महज 5 से 10 मीटर की दूरी है। इनके पास 10 बीघा खेती योग्य जमीन थी जो कुछ वर्ष पहले नदी में कट गई। अब सिर्फ मकान बचा था। इसके अलावा गांव निवासी राघवेन्द्र, रामसुमिरन, विनोद व रामबहादुर का घर घाघरा नदी में कट गया है। जिनके पास अब घर बसाने के लिए कोई उचित स्थान नहीं है।
फिलहाल यह अभी गांव में ही दूसरे की जमीन पर छप्पर व तिरपाल के नीचे रह रहे हैं। इसी तरह सेमरी व पत्रा गांव के विश्वनाथ, भगोले, माता सिंह, राम बहादुर, भवानी फेर, कुंवर बहादुर आदि की खेती योग्य जमीन नदी में समा चुकी है। इन सब के पास परिवार की आजीविका चलाने का साधन सिर्फ खेती ही थी लेकिन अब इनकी जमीन नदी में समा गई है, जिससे परिवार का भरण पोषण करने में समस्या हो रही है।
सरयू नदी का पानी खतरे के निशान को पार कर तीन सेमी ऊपर पहुंच स्थिर हो गया है। तीनों तहसीलों के एसडीएम को नदी के जलस्तर के साथ ही बाढ़ पीड़ितों पर बराबर नजर रखने तथा उनकी यथा संभव मदद करने के आदेश दिए गए हैं। इसके साथ ही जिन राजस्व कर्मियों की ड्यूटी बाढ़ में लगी है उन्हें पूरी तरह से सतर्क कर दिया गया है।