गोरखपुर

हजरत इब्राहीम व हज़रत इस्माईल की याद में होती है कुर्बानी: मुफ्ती मेराज

क़ुर्बानी पर दर्स का 8वां दिन

गोरखपुर। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती में क़ुर्बानी पर चल रहे दर्स के 8वें दिन शुक्रवार को मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि कुर्बानी का वाकया पैगंबर हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम व पैगंबर हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम से जुड़ा हुआ है। अल्लाह ने हजरत इब्राहीम को ख्वाब में अपनी सबसे अज़ीज़ चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया। हज़रत इब्राहीम ने अपने तमाम जानवरों को अल्लाह की राह में कुर्बान कर दिया। यह ख़्वाब दो मर्तबा हुआ। तीसरी मर्तबा हज़रत इब्राहीम समझ गए कि अल्लाह उनसे प्यारे पुत्र हज़रत इस्माईल की कुर्बानी का तालिब है। यह अल्लाह की आजमाइश का सबसे बड़ा इम्तिहान था। अल्लाह के हुक्म से उन्हें कुर्बानी करने के लिए मीना ले गए। जब हज़रत इब्राहीम अपने जिगर के टुकड़े की गर्दन पर छुरी चलाने लगे तो बार-बार चलाने के बावजूद गला नहीं कटा। इसी बीच गैबी आवाज आई। बस ऐ इब्राहीम तुमने आज अपना ख़्वाब पूरा किया। तुम्हें तुम्हारे अल्लाह ने पसंद किया, तुम इम्तिहान में कामयाब हुए। इसके बाद से कुर्बानी की रिवायत शुरु हुई।

उन्होंने बताया कि अल्लाह को सिर्फ हज़रत इब्राहीम व हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की हिम्मत और फरमाबरदारी का इम्तिहान लेना था इसलिए जब आंख खोली तो देखा एक दुम्बा़ जिब्ह किया हुआ पड़ा है और हज़रत इस्माईल खड़े मुस्कुरा रहे हैं। हज़रत इस्माईल की नस्ल से पैगंबरों के सरदार और आखिरी नबी हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पैदा हुए और इसी यादगार के लिए अल्लाह ने उनकी उम्मत को यह तोहफा अता किया। इस उम्मत का कोई भी मुसलमान कुर्बानी करेगा, तो उसे उसी अज़ीम कुर्बानी के सवाब के बराबर अता होगा जो हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने की थी।

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *