गोरखपुर

कुर्बानी में भाईचारा आम करें: मुफ्ती मेराज

क़ुर्बानी पर दर्स का 7वां दिन

गोरखपुर। मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती में क़ुर्बानी पर चल रहे दर्स के 7वें दिन गुरुवार को मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने कहा कि ईद-उल-अज़हा का दिन मेहमान नवाजी का है। कुर्बानी में भाईचारा आम करें। बेहतर यह है कि कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से कर लें। एक हिस्सा गरीब मुसलमानों में, एक हिस्सा दोस्त व अहबाब और एक अपने परिवार के लिए रख छोड़े। अगर घर के लोग ज्यादा हों तो सब गोश्त रख सकते हैं और सदका भी कर सकते हैं और बेहतर बांटना ही है। कुर्बानी का गोश्त बांटने से पहले उलमा किराम से मसला पूछ लें। जिनके यहां कुर्बानी न हुई हो सबसे पहले उनके यहां कुर्बानी का गोश्त भेजें। अगर कुर्बानी के जानवर में कई लोग शरीक हों तो सारा गोश्त तौल कर बांटा जाए, अंदाज से नहीं। कुर्बानी के चमड़े को सदका कर दें या मदरसे को दे दें। कोशिश करके चमड़े के साथ मदरसे वालों को अच्छी रकम भी दें ताकि मदरसे के संचालन में मदद हो सके। कुर्बानी का चमड़ा या गोश्त वगैरा जिब्ह करने वाले को बतौर मेहनताना देना जायज नहीं।

उन्होंने बताया कि जिलहिज्जा की 10,11 व 12 तारीख़ (10, 11 व 12 जुलाई) कुर्बानी के लिए खास दिन है। मगर पहला दिन अफ़ज़ल है। देहात में 10वीं जिलहिज्जा को सुबह सादिक के बाद ही से कुर्बानी करना जायज है लेकिन मुस्तहब यह है कि सूर्योदय के बाद कुर्बानी की जाए। शहर में नमाजे ईद से पहले कुर्बानी नहीं हो सकती। कुर्बानी दिन में करनी चाहिए। रात में कुर्बानी करना मकरुह है।

उन्होंने कहा कि हदीस शरीफ में क़ुर्बानी की बेशुमार फज़ीलत आई है। त्योहार पर साफ-सफाई का सभी खास ध्यान रखें। कुर्बानी का फोटो-वीडियो न बनाएं। सामूहिक कुर्बानी स्थलों के चारों तरफ पर्दा लगाकर कुर्बानी करें।

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