बाराबंकी

बाराबंकी: बज़्म-ए-अज़ीज़ का मासिक तरही मुशायरा

बाराबंकी!(अबू शहमा अंसारी) बज़्म अज़ीज़ का मासिक तरही मुशायरा उस्ताद शायर हाजी नसीर अंसारी के आवास पर आयोजित हुआ। मुशायरा की अध्यक्षता उस्ताद शायर रहबर ताबानी ने की। मुख्य अतिथि के रूप में जमाल अख़्तर उस्मानी और इरफ़ान कुरैशी मौजूद रहे। कार्यक्रम के पूर्व मेहमान शायर काविश रूदौलवी को रहबर ताबानी और नसीर अंसारी ने फूलों का हार पहनाकर तथा अंग वस्त्र से सम्मानित किया। मुशायरे का संचालन हुज़ैल लालपुरी पुरी ने किया। इस अवसर पर शायरों ने एक से बढ़कर एक कलाम प्रस्तुत किया। रहबर ताबानी ने कहा – किस शै की ख़्वाहिश आपको है हुक्म कीजिए। सीने में दिल भी है मेरे शाने पे सर भी है।।नसीर अंसारी ने पढ़ा- हूं कश्मकश में सजदा करुं तो कहां करूं।काबा भी सामने है कोई संग दर भी है।। लखनऊ से आए इरफ़ान बाराबंकवी ने कहा- करते हो जिंदगी पे अगर नाज़ तो सुनो। ना पायदार और ये ना मोतबर भी है।। हुज़ैल लालपुरी ने पढ़ा- लगता है उसका तीरे नज़र देखिए कहां। है दिल भी उसकी ज़द पे निशाना जिगर भी है।। डॉक्टर रेहान अलवी ने सुनाया- मांगा भी आपने क्या ख़ालिस ही दिल जिगर। ख़िदमत में यूं तो आपके हाज़िर ये सर भी है।। मुजीब रुदौलवी ने कहा-बंदे हो तो ख़ुदा की इबादत किया करो।ये ज़िन्दगी तवील भी है मुख़्तसर भी है।।काविश रूदौलवी ने सुनाया- शब भर तुम्हारा हाल सुनाता रहा हमें।ये चांद सिर्फ़ चांद नहीं नामा बर भी है।। इनके अलावा ज़फ़र दरियाबादी, नफ़ीस बाराबंकवी,हमदम रुदौलवी,सरवर किन्तूरी,बशर मसौलवी,शम्स ज़करियावी,अज़हर ज़करियावी, आरिफ़ शहाबपुरी और डॉक्टर फ़िदा हुसैन ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं। मुशायरे में डाक्टर एस एम हैदर, मोहम्मद मियां,अबुज़र अंसारी,नफ़ीस अंसारी आदि उपस्थित थे।

समाचार अपडेट प्राप्त करने हेतु हमारा व्हाट्सएप्प ग्रूप ज्वाइन करें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *