गोरखपुर

गेहूं के फसल अवशेष जलाएं नहीं, नष्ट होगी उर्वरा शक्ति

फसल अवशेष जलाने पर जुर्माना और एफआईआर दोनों का प्रावधान

गोरखपुर।
हेरिटेज फाउंडेशन के मनीष चौबे ने खोराबार ब्लाक के विभिन्न ग्राम पंचायतों में सोमवार को जागरूकता अभियान के क्रम में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के प्रति जागरूक किया। अपील किया कि गेहूं की फसल की कम्बाइन हार्वेस्टर से कटाई के उपरांत उसके फसल अवशेष को जलाए नहीं। बल्कि उनका प्रबंधन कर उन्हें खेती की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करें।
मनीष चौबे ने बताया कि खेत में फसल अवशेष जलाना, कानूनी रूप से जुर्म है। ऐसा करने पर जुर्माना और एफआरआर तक का प्रावधान है। दूसरे खेतों में मौजूद लाभदायक मित्र कीट नष्ट हो जाते है। मिट्टी का तापक्रम बढ़ने से उर्वरा शक्ति भी नष्ट होती है। मिट्टी सख्त हो जाती है, फलस्वरूप जुताई करने पर अधिक मेहनत लगती है। डीजल की लागत भी बढ़ जाती है। मिट्टी की जल धारण क्षमता भी कम हो जाती है। कार्बन की मात्रा कम हो जाती है जबकि मिट्टी के उपजाऊपन के लिए कार्बन की मात्रा होना लाभदायक होता है। उन्होंने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन के लिए फसल अवशेष जलाने के स्थान पर स्ट्रिपर यंत्र (भूसा बनाने की मशीन) से भूसा बनाना चाहिए। या फिर रोटावेटर आदि यंत्र का उपयोग कर मिट्टी में मिला देना चाहिए। मिट्टी में मिलाने से फसल अवशेष सड़ कर कार्बनिक पदार्थ में बदल जाते है जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है।

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