बिहार

असहाय लोगों की मदद करना रमज़ान का अहम पैग़ाम

मोतीहारी: 8 अप्रेल

रमजान का मुबारक महीना नेकी और भलाई करने का महीना है ।अपने गुनाहों से तौबा करना और खुदा के आदेशों का पालन करना, गरीबों असहाय व्यक्तियों की सहायता करना, भूखों को खाना खिलाना ही रमज़ान का अहम पैग़ाम है। इबादत करने के साथ-साथ कुरआन की तिलावत करते रहें और 20 रकत तरावीह की नमाज़ अदा करें। उक्त बातें केसरिया जामा मस्जिद के इमाम मौलाना अनीसुर रहमान चिश्ती ने जुम्मा के तकरीर के दौरान कहा और मज़ीद बताया कि रमज़ान शरीफ के महिने मे हर नेक काम का सवाब बढ़ा दिया जाता है इस्लिये हमें इस महीने मे ज्यादा से ज्यादा नेक काम करना चाहिए। रोज़ा अल्‍लाह को राज़ी करने का एक अहम ज़रीया है। रोजा का अर्थ सुबह से शाम तक सिर्फ भूखे-प्‍यासे रहना नहीं हैl बल्कि अपनी सोच और ख्याल को भी दुरुस्त रखने की ज़रुरत है। रोजा पूरे बदन का होता है, जैसे आंख का रोजा, जुबान का रोजा, कान का रोजा, हाथ का रोजा, पांव का रोजा। जुबान के रोज़े का मतलब यह है कि हम अपने जुबान से गाली गलौज न करें। झूठ न बोलें।ग़लत न सुनें न देखें न सोचें।
एक हदीस शरीफ के अनुसार रोजेदार इफ्तार के समय दुआ मांगता है तो उसकी दुआ क़बूल की जाती है। इसलिए इफ्तार के समय हमें दुआ मांगनी चाहिए और रोजेदारों को इफ्तार कराने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। चाहे एक खजूर ही सही, या एक गिलास पानी ही सही, अपनी हैसियत के अनुसार रोजेदारों की सेवा की जाए। ऐसा करने वाले को एक रोज़ा के बराबर (सवाब) नेकियां मिलती है

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