गोरखपुर। मंगलवार को मुकद्दस रमज़ान का तीसरा रोज़ा भी अल्लाह की रज़ा में बीता। लोगों ने जमकर इबादत की। क़ुरआन की तिलावत जारी है। नफ्ल नमाज़ें सलातुल तस्बीह, चाश्त, तहज्जुद, इशराक, सलातुल अव्वाबीन आदि पढ़ी जा रही हैं। नबी व आले नबी पर दरूदो-सलाम का नज़राना पेश किया जा रहा है। सुबह सहरी के लिए मस्जिद से रोजेदारों को जगाने के लिए सदाएं दी जा रही हैं। इफ्तार के समय मस्जिदों से रोजा खोलने का डंका बज रहा है। मस्जिदों की सफें नौजवानों, बुजुर्गों व बच्चों से भरी नज़र आ रही हैं। घरों में औरतें इबादत के साथ रसोई व बाज़ार से खरीददारी की जिम्मेदारियां उठा रही हैं। हर तरफ रमज़ान का फैज़ान है।
सदका-ए-फित्र जरुरतमंदों तक पहुंचा दें: मौलाना मोहम्मद अहमद
गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने बताया कि सदका-ए-फित्र मुकद्दस रमज़ान में निकाला जाता है। जिसके जरिए जरुरतमंदों की मदद की जाती है। सदका-ए-फित्र की मात्रा में 2 किलो 45 ग्राम गेहूं या उसके आटे की कीमत से चाहे, गेहूं या आटा दें या उसकी कीमत बेहतर है कि कीमत अदा करेें। लिहाजा जो उसका हक़दार हो उन तक रकम पहुंचा दी जाए ताकि वह अपनी ज़रुरत पूरी कर लें। जब तक फित्रा अदा नहीं किया जाता है तब तक सारी इबादत ज़मीन व आसमान के बीच लटकी रहती है। जब फित्रा अदा कर दिया जाता है तो इबादतें बारगाहे इलाही में पहुंच जाती हैं। रोज़े में इबादत में किसी किस्म की कमी रह गयी है तो यह फित्रा उस इबादत की कमी को पूरा कर देता है। फित्रा में गेहूं की जो कीमत आम बाज़ारों में है उसे ही दिया जाएगा।