जीवन चरित्र

दुनिया के सबसे पहले इंसान और नबी आदम अलैहिस्सलाम की वफ़ात कैसे हुई और आपकी कब्र-ए-मुबारक़ का किस्सा

लेखक: जावेद शाह खजराना

दोस्तों हज़रत आदम अलैहिस्सलाम में एक ख़ास बात है। वो यह है कि आपको दुनिया के सबसे पुराने और दिग्गज़ मज़हबी लोग जैसे यहूदी , ईसाई और मुसलमान सभी एक आवाज़ में बिला-शुबहा अपना सबसे पहला नबी मानते है। तीनों मजहब की मुक़द्दस किताबें तौरेत , बाईबल और कुरआन शरीफ़ में आपकी डिटेल्स मौजूद है।
आपने जन्नत भी देखी और दुनिया भी देखी। आप दुनिया के करीब 1 हजार साल रहे।

किसी भी धर्म के पास उसके आदि पुरुष के दुनिया में आने-जाने और इंतक़ाल के बाद दफनाने या जलाने का कोई सुबूत नहीं होगा लेकिन हम मुसलमान खुशकिस्मती है कि दुनिया के सबसे पहले इंसान हजरत आदम अलैहिस्सलाम जिन्हें ईसाई , यहूदी भी बराबर इज्ज़त देते है । उनकी मज़ार हमारे सामने बतौर सुबूत और मुक़द्दस निशानी के तौर पर आज भी हम मुसलमानों के पास है। दुनिया वालों के सामने सबसे बड़ा सुबूत भी है। जो हमारे इस्लाम के पुरातन होने की तस्दीक करता है।

जो लोग खुद को सनातन यानि सबसे पुराने धर्म का अनुयायी मानते है उनके महापुरुष की कोई भी निशानी सिवाय हमारे नहीं मिलेगी। आप बेहिचक बोल सकते हो कि दुनिया के सबसे पहले इंसान की कब्र आज भी इस धरती पर मौजूद है। जो इस बात की दलील देती है कि इस्लाम ही सबसे सनातनी धर्म है।

दुनिया में एक हज़ार साल तक रहने के बाद जब हज़रत आदम का आखरी वक़्त आया तो आपको जन्नती मेवे खाने की ख्वाहिश हुई। अपने बेटों से कहा कि – ‘काबा शर्फ़ जाओ दुआ करो कि अल्लाह तआला मेरी यह तमन्ना पूरी करें।’
हजरत आदम के बेटे काबा मुकर्रमा पहुँचे। वहां उन्हें हज़रत जिब्राईल के साथ दूसरे फ़रिश्ते मिले उन्होंने कहा हम जन्नत के मेवे अपने साथ लाये है।
सुभान अल्लाह! अल्लाह अपने नबियों का ख़्याल कैसे रखता है।

ये सभी फ़रिश्ते आदम अलैहिस्सलाम के घर पहुँचे। मेवे दिए। माँ हव्वा फरिश्तों को देखकर डरने लगी। आदम ने फ़रमाया हव्वा तुम डरो नहीं मुझसे दूर रहो क्योंकि अब मेरे जाने का वक्त आ गया है। इसके बाद फरिश्तों ने आपकी रूह कब्ज कर ली।

फ़रिश्तों ने फ़रमाया जिस तरह हम आदम का ग़ुस्ल और कफ़न-दफ़्न करेंगे इसी तरह तुम मरने वाले लोगों का दफ़्न करना। हज़रत जिब्राईल जन्नती खूशबू, जन्नती कफ़न और जन्नत के बैर के दरख़्त के कुछ पत्ते अपने साथ लाए थे। ग़ुस्ल के बाद उनको काबा लाए।उन पर तमाम फ़रिश्तों ने नमाजे जनाजा पढ़ी।जिब्राईल इमाम बने और फ़रिश्तें नमाजी। नमाज के 4 तकबीरें कही जो आज तक कायम है।

मक्का मोअज़्ज़मा से 3 मील दूर मीना के मैदान में उनके जनाजे को ले गए जहां हाजी कुर्बानी करते है वहाँ मस्जिदें खैफ़ के पास बगली कब्र खोदकर उनको दफ़्न किया गया। उनकी कब्र को ऊँट के कूबड़ की तरह ढलवान बनाया। आज भी ये कब्र तक़रीबन 10 हज़ार साल से उसी जगह कायम है।

दूसरी रिवायत है कि आपको काबा शरीफ के पास दफ़नाया।

तीसरी रिवायत है कि आपको मक्का के पहाड़ जबले नूर पर दफ़नाया। कोई कहता है कि लंका में जहां आप उतारे गए वहां दफ़्न है।
कुछ लोग बताते है इराक के नजद शहर कूफ़ा की मस्जिद में हजरत नूह के पास मदफुन है।

लेकिन ज्यादा सही । मीना का मकाम है क्योंकि आप उसी के करीब रहते थे।

सुभान अल्लाह दोस्तों
अब इससे बड़ा पक्का सुबूत दीन-ए-इस्लाम का क्या मिलेगा कि दुनिया के सबसे पहले इंसान हजरत आदम और उनकी बीवी से लेकर तमाम अम्बियाओं की कब्रें आज तक क़ायम है।
(तज़किरतुल अंबियाँ ‘ रज़वी किताबघर पेज 62)

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