कर्नाटक के श्रीरंगपट्टन शहर में स्थित इस मकबरे को श्रीरंगपट्टन गुम्बज के नाम से जाना जाता है। इस मकबरे की तामीर 1782-84 के बीच टीपू सुल्तान ने अपने वालिदैन के लिए करवाई थी आगे चल कर उनकी वफ़ात के बाद उन्हें भी इसी मकबरे में दफ़न किया गया था।
यह मकबरा एक सरू के बगीचे से घिरा हुआ था, जिसके बारे में कहा जाता है यंहा मुख्तलिफ किस्म के फूलदार दरख़्त और पौधे लगे हुए थे जिसे टीपू सुल्तान ने फारस, सल्तनते उस्मानिया, काबुल, फ्रेंच और मॉरीशस से जमा किये थे।
मकबरे के असल नक्काशीदार दरवाजे हटा दिए गए हैं जो अब विक्टोरिया और अल्बर्ट म्यूजियम, लंदन में रखे हुए हैं। आबनूस से बने और हाथी के दांत से सजाए गए मौजूदा दरवाजे लॉर्ड डलहौजी द्वारा तोहफे में दिए गए थे।
मकबरे के अंदर, बीच में हैदर अली की कब्र है, उसके मशरिक में टीपू सुल्तान की वालिदा हैं, और उसके मग़रिब में टीपू सुल्तान दफन हैं। बाहर बरामदे के जुनूबी हिस्से में सुल्तान बेगम – टीपू की बहन, फातिमा बेगम – टीपू की बेटी, शहज़ादी बेगम – शिशु बेटी, सैयद शाहबाज़ – टीपू के दामाद, मीर महमूद अली खान और उनके वालिद और माँ की कब्रें हैं। मशरिक की ओर टीपू सुल्तान की रजाई वालिदा मदीना बेगम की स्याह कब्र है। बरामदे पर कब्रों की 3 कतारों के साथ एक बुलंदी है, जिसमें पहले में कोई हेडस्टोन नहीं है। एक और कतार में 14 कब्रें हैं जिसमें 8 ख्वातीन की और 6 मर्दों की हैं, जिनमें मलिका सुल्तान ए शहीद या रुकिया बानो, बुरहानुद्दीन शहीद – टीपू के बहनोई और रुकिया बानो के भाई, निजामुद्दीन और 1 बेनिशान कब्र शामिल है। तीसरी कतार की 14 कब्रों में 9 ख्वातीन और 5 मर्दों की कब्रे हैं।




Source: Kingdom of Hyder Ali and Tipu Sultan
Sultanat E Khudadad
By Anwar Haroon Page No. – 294