गोरखपुर शिक्षा

मदरसा हुसैनिया के 10 छात्रों की जलसे में हुई दस्तारबंदी

गोरखपुर। मंगलवार को एक जलसे में मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाज़ार के 10 छात्रों की दस्तारबंदी हुई। मौलाना तसव्वर हुसैन, मौलाना अली हुसैन, मौलाना अमजद अली, मौलाना सद्दाम हुसैन, मौलाना इमाम हसन, मौलाना शाहिद हुसैन के सिर पर आलमियत की वहीं हाफ़िज़ मंजरे आलम, हाफ़िज़ आसिफ रज़ा, हाफ़िज़ मोहम्मद सैफ, हाफ़िज़ मोहम्मद साकिब रज़ा के सिर पर हिफ़्ज की दस्तार बांध सनद सौंपी गई। ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मदरसा स्टूडेंट्स, ग़ौसे आज़म फाउंडेशन गोरखपुर ब्रांच, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर सहित तमाम लोगों ने छात्रों को तोहफों व दुआओं से नवाजा। छात्रों का फूल मालाओं से स्वागत हुआ।

उलमा-ए-किराम ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक इसलिए भेजा गया कि हम उसे प़ढ़ें, समझें और उसके मुताबिक़ अमल करें। रमज़ानुल मुबारक की सबसे अज़ीम नेअमत क़ुरआन-ए-पाक है। कुरआन-ए-पाक चमकता हुआ आफताब है। क़ुरआन-ए-पाक करीब 23 साल की मुद्दत में नाज़िल हुआ। क़ुरआन-ए-पाक में 30 पारे, 114 सूरतें और 540 रुकूअ हैं। क़ुरआन-ए-पाक की कुल आयत की तादाद 6666 है। इसकी एक-एक आयत में हिकमत के ख़ज़ाने पोशीदा हैं। क़ुरआन-ए-पाक तारीख़ इंसानी में वह इकलौती किताब है जिसने इंसान को दावत दी है कि वह ग़ौरो फ़िक्र से काम लेकर समझने की कोशिश करे। अपने इर्द-गिर्द फैली हुई कायनात पर नज़र डाले और मुआयना करे। क़ुरआन-ए-पाक अल्लाह की अज़ीम मुकद्दस किताब और हिदायत का खज़ाना है। जलसे में नात व मनकबत पेश की गई। अंत में दुआ मांगी गई। इस मौके पर मदरसे के अध्यापक, छात्र व छात्रों के परिवारजन मौजूद रहे।वहीं हुसैनाबाद गोरखनाथ स्थित महिलाओं के जलसे में नुसरत फातिमा, शाइमा खातून, तबस्सुम फातिमा की दस्तारबंदी की गई।

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