हर साल की तरह इस साल भी नूरुल उ़ल्मा पीरे तरीक़त हज़रत अ़ल्लामा अल्हाज सय्यद नूरुल्लाह शाह बुखारी की सरपरस्ती में इलाक़ा-ए-थार की मरकज़ी दर्सगाह “दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ” में “तहरीके अनवारी” की तरफ से अ़ज़ीमुश्शान पैमाने पर “जश्ने ख्वाजा ग़रीब नवाज़” मनाया गया।
सब से पहले इज्तिमाई क़ुरआन ख्वानी की गई। फिर दारुल उ़लूम की अ़ज़ीमुश्शान “ग़रीब नवाज़ मस्जिद” में जल्सा-ए-ग़रीब नवाज़ का इन्इक़ाद किया गया।
जल्से की शुरुआ़त तिलावते कलामे रब्बानी से की गई।
बादहु यके बाद दीगरे कई तल्बा ने बारगाहे हुज़ूर सुल्तानुल हिंद मे मन्क़बत के नज़राने जब कि कई तल्बा ने आप की हयात व खिदमात पर मुश्तमिल तक़़ारीर कीं।
खुसूसियत के साथ इन हज़रात ने नअ़़त व मन्क़बत और तक़रीर की।
मोलवी रियाज़ुद्दीन सिकंदरी अनवारी,मोलवी कबीर अहमद सिकंदरी अनवारी,मोलवी बरकत अ़ली अनवारी,मोलवी मुहम्मद उ़र्स सिकंदरी अनवारी।
आखिर में दारुल उ़लूम के नाज़िमे तअ़लीमात हज़रत मौलान मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही ने “हुज़ूर सुल्तानुल हिंद की हिंदुस्तान में इशाअ़ते इस्लाम” के उ़न्वान पर मुख्तसर खिताब किया।
निज़ामत के फराइज़ हज़रत मौलाना जमालुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी ने बहुस्न व खूबी अंजाम दी।
फिर सलातो सलाम,इज्तिमाई फातिहा ख्वानी,व दुआ़ पर यह मज्लिसे सईद इख्तिताम पज़ीर हुई।
इस प्रोग्राम में खुसूसियत के साथ यह हज़रात शरीक हुए।
★हज़रत मौलाना दिलावर हुसैन साहब क़ादरी,☆हज़रत मौलाना खैर मुहम्द साहब क़ादरी अनवारी,★हज़रत मौलाना इस्लामुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी,☆हज़रत मौलाना इल्मुद्दीन साहब क़ादरी अनवारी,★हज़रत मौलाना हबीबुल्लाह साहब क़ादरी अनवारी,☆मास्टर मुहम्द यूनुस साहब,★मास्टर सुलेमान साहब,☆मास्टर मुहम्मद मुरीद साहब,★मास्टर जमाल खान वग़ैरह।
रिपोर्टर:मुहम्नद नसीर S/O मुहम्मद आदम
मुतअ़ल्लिम:दरजा-ए-फज़ीलत:दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफा सेहलाऊ शरीफ,पो:गरडिया,ज़िला: बाड़मेर(राज)


