सोशल डिस्टेंस के नाम पर ड्रामा
पॉजिटिव दर छ: के पार होने पर भी नरमी , सरकार अपने ही प्लान को लागू करने में नाकाम।
नई दिल्ली, 3 जनवरी
दिल्ली में सामाजिक दूरी और सोशल डिस्टन्सिंग के नाम पर दिल्ली सरकार का ज़बरदस्त ड्रामा चल रहा है। केजरीवाल सरकार की लापरवाही से दिल्ली की हालत बिगड़ रही है।
केजरीवाल इस समय दिल्ली में रात का कर्फ्यू, चंडीगढ़ और यूपी में चुनावी रैलियां कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि उन्हें दिल्ली के लोगों की परवाह नहीं है। वे केवल चुनाव लड़ना चाहते हैं। नाटक इतना है कि लोग बहुत परेशान हैं। सामाजिक दूरी के लिए मेट्रो और बसों में नियम तो बनाए गए हैं, लेकिन सिद्धांतहीन और ग़लत नीति और हथकंडे के चलते यात्रियों का हाल बेहाल है और सामाजिक दूरी बिल्कुल नहीं हो रही है.| इसका एक उदाहरण है कि केवल एक मेट्रो का दरवाज़ा खुला है और दूसरे दरवाज़े बंद हैं| तर्क दिया जाता है कि इससे कोई भीड़ अंदर नहीं होगी, लेकिन दरवाज़ा बंद होने के कारण पूरी भीड़ एक ही गेट पर जमा हो जाती है| हौज खास, ओखला विहार , जामिया मिल्लिया इस्लामिया समेत विभिन्न स्टेशनों के बाहर लंबी कतारें देखी गईं.कश्मीरी गेट जैसे स्टेशनों का क्या होगा इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है.| सवाल यह है कि इतने लोगों को इकट्ठा करके सामाजिक दूरी को कैसे लागू किया जा रहा है।यह ड्रामा नहीें है? इतना ही नहीं, एक दरवाज़ा भी बंद है और एक लंबी लाइन लगा दी जाती है, जिसमें बड़ी भीड़ जमा होती है, फिर सैकड़ों लोगों को एक साथ अंदर कराया जाता है | आज सुबह 9 बजे जामिया मिल्लिया इस्लामिया स्टेशन पर यह नाटक देखने आया, एक दरवाज़ा जो खुला रहता था वह भी 9 बजे तक बंद कर दिया गया था। यह घोषणा की गई कि दरवाजा 9 बजे खोला जाएगा। खोला गया और सैकड़ों को एक साथ प्रवेश करने के लिए मजबूर किया गया| बसों में सीमांकन के बाद बस स्टैंड पर भीड़ रहती है। कार्यालयों में अब तक रोस्टर लागू नहीं हुए हैं और घर कार्यालय से कोई काम नहीं है। सरकारी कार्यालय पूरी तरह से खुले हैं।ऐसे में हर कोई ऑफ़िस जाने को मजबूर है.दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली सरकार ने पांच अलर्ट जारी किए हैं।
कोरोना के मामले और पॉजिटिव रेट को देखते हुए अब तक रेड अलर्ट जारी हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक येलो अलर्ट से ही काम हो रहा है।
चुनाव में व्यस्त केजरीवाल को नहीं पता कि दिल्ली किस अलर्ट पर पहुंच गई है.केजरीवाल सरकार के इस ड्रामे से लोग गुस्से में हैंं।