दिल्ली

गैर मुस्लिमों से तोहफे लेना और उनको देना स्वस्थ भारत के निर्माण के लिये जरूरी : अनिसु-उर-रहमान कासमी

इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ थियोलॉजी के अन्तर्गत कार्यक्रम आयोजित

मो जबिहुल कमर ‘जुगनू’ /नई दिल्ली

इस्लाम ने संयम, न्याय और सम्मान को प्राथमिकता दी है. ये मूल तत्व हैं जो एक अच्छे समाज को खूबसूरत बनाते हैं. एक शांतिपूर्ण समाज की स्थापना मानवता के लिए आवश्यक है. प्रसिद्ध धार्मिक विद्वान और पटना के इमारते शरिया के पूर्व नाज़िम मौलाना अनिसु-उर-रहमान कासमी ने इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ थियोलॉजी, दिल्ली द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला में यह बात कही. उन्होंने कहा कि मानवता के सम्मान और संयम से ही विश्व में शांति संभव है. विश्व में कई संगठन विश्व शांति के लिए काम कर रहे हैं, उन सभी को संयम दिखाना चाहिए.
मौलाना अनिसु-उर-रहमान कासमी ने कहा कि सभी धर्मों में भाईचारे और भक्ति की भावना तभी उठेगी जब हम सभी धर्मों का सम्मान करने का कर्तव्य निभाएंगे. उन्होंने वर्तमान युग के कई मुद्दों का विश्लेषण पवित्र पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के जीवन को ध्यान में रखते हुए किया और अपने संदेश को तार्किक तरीके से प्रस्तुत किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें गैर-मुसलमानों के साथ रिश्ते व संबंध को मजबूत करना चाहिए.
बता दें कि आज 19.10.2021 को दोपहर 12 बजे इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ थियोलॉजी, दिल्ली द्वारा एक ऑनलाइन व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया था, जिसमें मुख्य विषय – “अमन व सलामती का पैगाम – सिरते नबवी की रोशनी में” था. विदित हो कि इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ थियोलॉजी, तस्खीर फाउंडेशन, दिल्ली द्वारा संचालित एक संस्था है. दोनों संस्थानों का उद्देश्य अंतर-धार्मिक संवाद और शिक्षा को बढ़ावा देना है. इसके तहत लगभग दो दर्जन कार्यक्रम शांति और धर्म के विषयों पर प्रस्तुत किए जा चुके हैं, जो यूट्यूब पर उपलब्ध हैं.
कार्यक्रम में लगभग तीन दर्जन लोगों ने भाग लिया, जिनमें सहायक प्रोफेसर डॉ. कासिम अख्तर और साजिद हुसैन नदवी, तस्खीर फाउंडेशन के महासचिव गुलाब रब्बानी, सैयद सफवान हामिद, मौलाना साद, आदिल अफ्फान, मोहम्मद वजहुल कमर, मुहम्मद फैसल, मुहम्मद अरशद, मुहम्मद वसीम, नाहन अंसारी, शगुफ्ता कमर, अयान रब्बानी, शाजिया सिद्दीकी आदि मौजूद थे. कार्यक्रम की शुरुआत कारी अबू सलमा सिद्दीकी कुराने तिलावत और कामरान अकमल नदवी (चेन्नई) की नज़्म से हुई, जबकि डॉ. एस. अब्दुल समद ने कार्यक्रम का संचालन किया.

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