महफिल-ए-मिलादुन्नबी का 6वां दिन
गोरखपुर। बुधवार को ‘महफिल-ए-मिलादुन्नबी’ के 6वें दिन बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में मौलाना अली अहमद ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इंसानों को जीने का सलीका सिखाया। लोगों को सही रास्ते पर चलने की तालीम दी। सारी दुनिया पैग़ंबर-ए-आज़म के तुफैल बनाई गई। आप सारी दुनिया के लिए रहमत हैं। माह-ए-रबीउल अव्वल की 12 तारीख पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की यौमे पैदाइश की वह यादगार तारीख़ है जिसको भुलाना नामुमकिन है। इस मुबारक माह की आमद पर दुनियाभर में खुशियां मनाई जाती हैं। पैग़ंबर-ए-आज़म को याद कर उनके नाम की महफिल सजाई जाती है। ईद मिलादुन्नबी की महफिल सजाना पैग़ंबर-ए-आज़म से मोहब्बत की दलील है और शरीअत की नज़र में पसंदीदा अमल भी है। पैग़ंबर-ए-आज़म ने दुनिया को तौहीद, इंसानियत और समता का संदेश दिया। पैग़ंबर-ए-आज़म के बाद इंसानों की हिदायत के लिए अल्लाह ने रसूल का नायब उलमा व औलिया को बनाया। जिनके जरिए इंसानों की हिदायत का काम हो रहा है।
वहीं मंगलवार देर रात बुलाकीपुर में ईद मिलादुन्नबी जलसा हुआ। जिसमें मौलाना मो. फिरोज निज़ामी ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी और क़ुरआन दीन व दुनिया का इंसाइक्लोपीडिया है। साइंसी दुनिया पैगंबर-ए-आज़म के कौल व क़ुरआन की रोशनी में तहकीकात करके इतनी आगे जा रही है, तो मुसलमानों पर लाज़िमी है कि पैग़ंबर-ए-आज़म की ज़िन्दगी के बारे में जानें और क़ुरआन व शरीअत पर मुकम्मल अमल करके आगे बढ़े। मुसलमानों का खोया वकार सिर्फ क़ुरआन व हदीस के इल्म से ही वापस मिल सकता है। जब पैग़ंबर-ए-आज़म से मुसलमानों का ताल्लुक मजबूती से जुड़ेगा तभी कामयाबी हमारे कदम चूमेगी।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। महफिल में मौलाना रियाजुद्दीन क़ादरी, सैयद गुलाम गौस कारी कासिम, मौलाना मकबूल, अली गज़नफर शाह अज़हरी, सैयद रफीक हसन, मो. ज़ैद, मो. फैज़, मो. आसिफ, मो. अरशद, मो. तैयब, तौसीफ खान, मो. लवी, अली कुरैशी, मो. रफीज, सैयद मारूफ, कारी मो. अनीस क़ादरी, कारी अब्दुल अज़ीज़, मौलाना मो. इस्राइल निज़ामी आदि शामिल हुए।