पैग़ंबर-ए-आज़म की यौमे पैदाइश पर खूब खुशियां मनानी चाहिए : अली अहमद
महफिल-ए-मिलादुन्नबी का तीसरा दिन
गोरखपुर। रविवार को ‘महफिल-ए-मिलादुन्नबी’ के तीसरे दिन बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में मौलाना अली अहमद ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक में है कि “बेशक अल्लाह का बड़ा एहसान हुआ मुसलमानों पर कि उनमें उन्हीं में से एक रसूल (हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) भेजा जो उन पर उसकी आयतें पढ़ते हैं और उन्हें पाक करते हैं और उन्हें किताब और हिक़मत सिखाते हैं।” अल्लाह क़ुरआन में अपनी दी हुई नेमतों का चर्चा करने का हुक्म दे रहा है। अल्लाह फरमाता है “और अपने रब की नेमत का खूब चर्चा करो।” मुसलमानों के लिए पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम से बढ़कर और कोई नेमत नहीं। पैग़ंबर-ए-आज़म की यौमे पैदाइश पर खूब खुशियां मनानी चाहिए। क़ुरआन-ए-पाक का तर्ज़ुमा सिर्फ आला हज़रत का कंजुल ईमान ही पढ़े।
शाहिदाबाद में हुई महफिल-ए-मिलादुन्नबी में कारी हामिद रज़ा अशरफ़ी ने कहा कि अल्लाह ने दुनिया को बनाने के बाद सबसे आला दर्जा इंसान को अता किया और इस सिलसिले में उनकी हिदायत व रहनुमाई के लिए अम्बिया (नबी व रसूल) का सिलसिला जारी फरमाया। जिसकी आखिरी कड़ी बनकर अम्बिया के सरदार हमारे पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम तशरीफ लाये। जिनकी नुबूवत कयामत तक के लिए है। आपने 40 साल की उम्र में नुबूवत का ऐलान किया। नमाज़ पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के आंखों की ठंडक है। नमाज़ इंसान को हर बुराई से दूर रखती है।नमाज़ तय वक्त पर खुद भी अदा करें और घर वालों से भी नमाज़ पढ़ने के लिए कहें।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। महफिल में मौलाना तफज़्ज़ुल हुसैन रज़वी, हाफ़िज़ अज़ीम अहमद नूरी, शरीफ़ अहमद, मुहर्रम अली, अली गज़नफर शाह अज़हरी, सैयद रफीक हसन, मो. ज़ैद, मो. फैज़, मो. आसिफ, मो. अरशद, मो. तैयब, तौसीफ खान, मो. लवी, अली कुरैशी, मो. रफीज, सैयद मारूफ, शायर रईस अनवर आदि शामिल हुए।