गोरखपुर। शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह में क़ुर्बानी पर चल रहे दर्स (व्याख्यान) के 5वें दिन शनिवार को हाफ़िज़ आफताब ने बताया कि क़ुर्बानी में भेड़, बकरा-बकरी, दुम्बा सिर्फ एक आदमी की तरफ से एक जानवर होना चाहिए और भैंस व ऊंट में सात आदमी शिरकत कर सकते हैं। क़ुर्बानी के लिए ऊंट पांच साल, भैंस दो साल, बकरा-बकरी एक साल का होना चाहिए। कुर्बानी के जानवर को ऐब (दोष) से खाली होना चाहिए। अगर थोड़ा से ऐब हो तो क़ुर्बानी हो जाएगी मगर मकरूह होगी और ज्यादा हो तो क़ुर्बानी होगी ही नहीं। अंधे जानवर की क़ुर्बानी जायज़ नहीं इतना कमजोर जिसकी हड्डियां नज़र आती हो और लगंड़ा जो क़ुर्बानीगाह तक अपने पांव से जा न सके और इतना बीमार जिसकी बीमारी जाहिर हो जिसके कान या दुम तिहायी से ज्यादा कटे हों इन सब की क़ुर्बानी जायज़ नहीं। क़ुर्बानी और अकीका की शिरकत हो सकती है। इस उम्मत का कोई भी मुसलमान ईद-उल-अज़हा के दिन क़ुर्बानी करेगा तो उसे उस अज़ीम क़ुर्बानी के बराबर सवाब मिलेगा जो पैगंबर हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम व पैगंबर हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम ने की थी। क़ुर्बानी के मौके पर सभी लोग साफ-सफाई का खास ख्याल रखें। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान व भाईचारे की दुआ मांगी गई। दर्स में बशीर खान, मो. इरफ़ान, मो. फरीद, हाजी मो. यूनुस, मो. अफ़ज़ल, इकराम अली आदि ने शिरकत की।
बड़े जानवरों की क़ुर्बानी में हिस्सा लेने के लिए तैयारी शुरु
अल्लाह के नाम पर क़ुर्बानी देने का पर्व 21, 22 व 23 जुलाई को परम्परागत तरीके से मनाया जाएगा। मुस्लिम घरों में तैयारियां शुरु हो गई हैं। जहां क़ुर्बानी के लिए बकरों के बाज़ार में चहल पहल है वहीं बड़े जानवर भैंस-पड़वा में हिस्सा लेने के लिए भी तैयारी शुरु हो गई है। लोगों ने पेशगी रकम जमा करानी शुरु कर दी है। काबिलेगौर कि हर साल शहर मे तीन दर्जन से अधिक जगहों पर बड़े जानवर भैंस-पड़वा की क़ुर्बानी लगातार तीन दिनों तक हर्षोल्लास के साथ होती चली आ रही है। मदरसों के जरिए मुस्लिम घरों में हैंडबिल बांटा जा रहा है। हैंडबिल में क़ुर्बानी के फजाइल, क़ुर्बानी की दुआ व तरीका, गोश्त तकसीम और खाल जमा करने के सेंटर आदि का उल्लेख है।