गोरखपुर। मो. इस्माईल व मो. सेराज अहमद के हाफ़िज़-ए-क़ुरआन बनने की खुशी में बदरे मिल्लत नौज़वान कमेटी की ओर से मोहल्ला हुसैनाबाद गोरखनाथ में जलसा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से जलसा शुरू हुआ। नात व मनकबत पेश की गई।
मौलाना सैयद सेराज अहमद ने ‘इल्म और उसकी फजीलत’ विषय पर बोलते हुए कहा कि इल्म का सीखना हर मुसलमान मर्द और औरत पर फ़र्ज़ है। वह इल्म जो हमें हलाल और हराम में फ़र्क़ बताए और जो अल्लाह के फरमान के खिलाफ ना हो वो इल्म ही सही मायने में इल्म है। दीन-ए-इस्लाम में इल्म की अहमियत का अंदाजा क़ुरआन-ए-पाक की पहली आयत इक़रा से लगाया जा सकता है। बिना इल्म के इंसान ना दुनिया संवार सकता है और ना ही आख़िरत। इल्म से ही मुल्क व समाज की तस्वीर बदलेगी। जिस इंसान ने इल्म हासिल किया उसके सिर पर कामयाबी और बुलंदी का ताज होता है। बच्चों को दीनी तालीम जरूर दिलाई जाए। सभी लोग हर हाल में क़ुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक के मुताबिक जिंदगी गुजारें।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर अमनो सलामती की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में हाफ़िज़ अज़ीम अहमद नूरी, नूर अहमद, मो. तस्नीम, मौलाना शमीमुल कादरी, हारून, अनवार, मौलाना शादाब अहमद रज़वी, मो. दानिश, शाबान अहमद, निज़ामुद्दीन आदि मौजूद रहे।