गोरखपुर

गोरखपुर: मदरसा हुसैनिया के 15 बच्चों की जलसे में हुई दस्तारबंदी

क़ुरआन-ए-पाक अल्लाह की अज़ीम मुकद्दस किताब और हिदायत का खज़ाना : मौलाना मसऊद

गोरखपुर। बुधवार को एक जलसे में मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार के 15 बच्चों की दस्तारबंदी हुई। मौलाना मो. इरशाद, मौलाना मो. साहिल, मौलाना मो. जावेद, मौलाना मो. शफीक, मौलाना मो. अब्दुल माजिद के सिर पर आलमियत की दस्तार बांधी गई। वहीं हाफ़िज़ मो. अनस रज़ा, हाफ़िज़ मो. शहीद, हाफ़िज़ मो. तबरेज, हाफ़िज़ मो. इकरार, हाफ़िज़ मो. एमादुद्दिन, हाफ़िज़ मो. शाद, हाफ़िज़ मो. अमन, हाफ़िज़ मो. सैफ, हाफ़िज़ मो. इस्माईल, हाफ़िज़ मो. सेराज के सिर पर हिफ़्ज की दस्तार सजी।

मुख्य अतिथि के तौर पर अलजामियतुल अशरफिया मुबारकपुर यूनिवर्सिटी के मौलाना मसऊद अहमद बरकाती ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक इसलिए भेजा गया कि हम उसे प़ढ़ें, समझें और उसके मुताबिक़ अमल करें। रमज़ानुल मुबारक की सबसे अज़ीम नेअमत क़ुरआन-ए-पाक है। कुरआन-ए-पाक चमकता हुआ आफताब है। क़ुरआन-ए-पाक 22 साल 5 माह और 14 दिन के अर्से में ज़रूरत के मुताबिक़ किस्तों में नाज़िल हुआ। क़ुरआन-ए-पाक में 30 पारे, 114 सूरतें और 540 रुकूअ हैं। क़ुरआन-ए-पाक की कुल आयत की तादाद 6666 है। इसकी एक-एक आयत में हिकमत के ख़ज़ाने पोशीदा हैं। क़ुरआन-ए-पाक तारीख़ इंसानी में वह इकलौती किताब है जिसने इंसान को दावत दी है कि वह ग़ौरो फ़िक्र से काम लेकर समझने की कोशिश करे। अपने इर्द-गिर्द फैली हुई कायनात पर नज़र डाले और मुआयना करे। क़ुरआन-ए-पाक अल्लाह की अज़ीम मुकद्दस किताब और हिदायत का खज़ाना है। जलसे में नात व मनकबत पेश की गई। अंत में दुआ मांगी गई। इस मौके पर मदरसे के अध्यापक और छात्र मौजूद रहे।

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