मऊ व आजमगढ़

मदरसतुल मदीना फ़ैज़ाने सिद्दीक़े अकबर, आज़मगढ़ में तिरंगा ड्राइंग प्रतियोगिता का शानदार आयोजन

• नन्हें छात्रों की कला से देशभक्ति के रंग बिखर गए

आज़मगढ़ (प्रेस रिलीज़)

मदरसतुल मदीना फ़ैज़ाने सिद्दीक़े अकबर, मोहल्ला ग़ुलामीपुरा, आज़मगढ़ में 13 अगस्त 2025, बुधवार को, डिपार्टमेंट ऑफ़ मॉडर्न एजुकेशन, दावते इस्लामी इंडिया के तहत तिरंगा ड्राइंग प्रतियोगिता बड़े ही शानदार और जोश भरे माहौल में आयोजित की गई। नन्हें छात्रों ने अपनी चमकती आँखों और रचनात्मक सोच से ऐसी कलाकृतियाँ बनाईं कि देखने वालों के दिलों में देशभक्ति की लौ और प्रज्वलित हो गई।

छोटे-छोटे हाथों ने रंगों के माध्यम से राष्ट्रीय ध्वज “तिरंगा” की ऐसी जीवंत तस्वीरें बनाई जिनमें सच्चाई, मोहब्बत और वतन पर कुर्बानी के जज़्बात झलक रहे थे। कहीं तिरंगे के साथ “I Love My India” का संदेश दिखाई दे रहा था, तो कहीं “हमारे देश का झंडा” का प्यारा इज़हार रंगों में नज़र आ रहा था। सफेद कपड़े और साफा(पगड़ी) पहने ये नन्हें छात्र जब अपनी कला प्रस्तुत कर रहे थे, तो ऐसा महसूस हो रहा था जैसे पवित्रता और देशभक्ति एक साथ निखर आई हो।

इस अवसर पर मदरसतुल मदीना के प्रिंसिपल फाज़िल-ए-बाकमाल हज़रत मौलाना हाफ़िज़ व क़ारी इक़बाल अहमद साहब मिस्बाही ने कहा कि
“यह प्रतियोगिता न केवल कला को बढ़ावा देती है बल्कि छात्रों के दिलों में देशभक्ति, राष्ट्रीय एकता और अमन-मोहब्बत के बीज बोने का बेहतरीन माध्यम भी है।”

कार्यक्रम के दौरान जब हज़रत हाफ़िज़ व क़ारी मौलाना यूनुस रज़ा मिस्बाही साहब, हज़रत क़ारी सईद अख़्तर साहब, क़ारी मुहम्मद असग़र साहब और जनाब मास्टर इसराईल साहब हॉल में दाख़िल हुए तो नन्हें छात्रों के चेहरे ख़ुशी से खिल उठे। सफेद पगड़ी और महकते इत्र की ख़ुशबू के साथ जब ये असातज़ा-ए-किराम(टीचर्स) एक-एक चित्र को ग़ौर से देख रहे थे तो बच्चों के दिलों में एक अलग ही ख़ुशी और जोश की लहर दौड़ रही थी।

हज़रत क़ारी असग़र साहब ने एक चित्र देखकर मुस्कुराते हुए कहा:
“बेटा! तुमने तिरंगे में जो रोशनी के घेरे बनाए हैं, वो दिल को छू लेने वाले हैं।”

हज़रत क़ारी सईद अख़्तर साहब ने एक दूसरे छात्र की कला देखकर कहा:
“ये तो रंगों की ज़ुबान में वतन की मोहब्बत का इज़हार है।”

वहीं, जनाब मास्टर इसराईल साहब ने एक छोटे छात्र की पेंटिंग देखकर प्यार से उसके सर पर हाथ रखकर कहा:
“अल्लाह तुम्हें दीन और वतन की सेवा के लिए क़बूल करे।”

इन पलों में ऐसा लग रहा था जैसे कला, मोहब्बत और रूहानी तालीम एक ही मंच पर एक साथ दिखाई दे रहे हों।

कार्यक्रम के अंत में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले छात्रों को ख़ास तौर पर प्रोत्साहित किया गया और सभी प्रतिभागियों को दुआ़ और मुबारकबाद दी गई। यह यादगार प्रतियोगिता, जिसने देशभक्ति के जज़्बात को ताज़ा कर दिया, शिरकत करने वालों के दिलों में गहरी छाप छोड़ गई।

उक्त सूचना दारुल उ़लूम अनवारे मुस्तफ़ा सेहलाऊ शरीफ़ के नाज़िमे तालीमात, अदीबे शहीर हज़रत मौलाना मुहम्मद शमीम अहमद साहब नूरी मिस्बाही ने प्रेस रिलीज़ के माध्यम से दी।

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