- पाली ज़िले के फालना शहर में एक मस्जिद के अंदर नमाज़ के दौरान हुई बदतमीज़ी से मुस्लिम समाज में ग़ुस्से की लहर दौड़ गई है।
- जानकारी के अनुसार, शहर के एक वरिष्ठ इमाम के साथ, नमाज़ की नियत बांधते वक़्त, कुछ असामाजिक तत्वों ने, धक्का-मुक्की की। मस्जिद के अंदर इमाम के साथ हुई यह हरकत, न सिर्फ़ इंसानी तहज़ीब पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि मज़हबी तौर पर भी बेहद शर्मनाक है।
यह सिर्फ़ बदतमीज़ी नहीं, यह अल्लाह के घर में बग़ावत थी
घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए ग़ौसे आज़म फाउंडेशन के चेयरमैन, सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी ने कहा
- यह मस्जिद है! कोई बदतमीज़ों/ मवालियों और गुंडों का अड्डा नहीं।
- यह मिम्बर है! यहां ज़बान नहीं, अदब चलता है।
- और यह इमाम है! यह उम्मत की पेशानी का नूर है। जिसकी तौहीन ने पूरे मुस्लिम समाज का सर झुका दिया।
जिसने इमाम को धक्का दिया, वह समझ ले कि उसने आख़िरत बर्बाद कर ली
- सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी ने कहा कि इस घिनौनी हरकत की तस्वीरें और वीडियो देखकर, उनकी रूह कांप उठी। उन्होंने बताया कि…
- ग़ौर से देखा तो पता चला कि यह तो वही इमाम साहब हैं, जो मुझसे मोहब्बत करते हैं। मैंने उन्हें फ़ोन किया।
उन्होंने रुंधे हुए गले से कहा:
- यह बदतमीज़ शख़्स, 9 साल से मुझे परेशान कर रहा था। सब्र करता रहा, लेकिन दो दिन पहले नमाज़ के दौरान जो हुआ, उससे मेरा दिल टूट गया। इस्तीफ़ा देकर चला आया।
ऐ इमाम को धक्का मारने वाले, सुन ले
- तेरी इस हरकत को सिर्फ़ मस्जिद के कैमरे ने ही नहीं, बल्कि अल्लाह ने भी देखा है। जिस दिन उसका अज़ाब उतरा, तुझे कोई नहीं बचा पाएगा।
क़ानून तुझे सज़ा दे या न दे, रब का इंसाफ़ कभी नहीं टलता
- हज़रत मौलाना सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी साहब ने ललकारते हुए कहा कि…
- आज तूने हालते नमाज़ में इमाम साहब को धक्का मारा है, कल तेरा बेटा तुझे भी ठोकर मारेगा। यही दुनिया की अ़दालत का सबक़ है और जो लोग तमाशा देखते रहे, वे याद रखें, कल उनकी ख़ामोशी भी सवाल बनेगी।
मस्जिद में अदब नहीं रहेगा, तो क़ौम की तक़दीर भी मिट्टी में मिल जाएगी
- सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी साहब ने कहा कि… जो इमाम को रुलाता है, वह अल्लाह की रहमत से बेदख़ल होता है। अगर आज भी क़ौम नहीं जागी, तो मस्जिदें मवालियों और गुंडों के अड्डे बन जाएंगी।
- आख़िरी और फ़ैसलाकुन एलान:*
- जो लोग इमामों की तौहीन करें,
- बार-बार मस्जिद का माहौल बिगाड़ें,
- इमामों की ग़ीबत करें, बिला वजह उन्हें परेशान करें। उन पर क़ौमी सख़्ती की जाए।
- मस्जिद की कमेटियां कार्रवाई करें,
- न मानें, तो समाज से बायकॉट किया जाए।
*सूफ़ी सैफुल्लाह क़ादरी साहब ने कहा कि…
- इमाम हमारे सर का ताज है। ताज की तौहीन, किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।