क्राईम लेख

प्रेम, इक़रार, फिर इनकार के खेल में खेली गई खून की होली

शनीचरी डायरी

  • परिवार व समाज के लिए घातक सिद्ध हो रहा बदलता आधुनिक वातावरण

✍️ अशोक वत्स

शिक्षा, संस्कार और परवरिस ही समाज में अलख जगाने के महत्वपूर्ण साधन है, लोग अपने बच्चों के मन में पनप रहे आधुनिकता, रील बनाने की प्रवृति और बच्चों को कीमती मोबाइल गिफ्ट करने तथा दूसरे के बच्चों से अपने बच्चों को अधिक स्मार्ट दिखाने की इच्छा खुद के लिए घातक सिद्ध हो रहे। बीते सप्ताह हुई हत्याओं ने जहां कई रिश्तों को कलंकित किया वहीं शिक्षा, संस्कार और परवरिस पर भी सवाल उठता रहा।

पुलिस प्रशासन पर भी खूब सवाल उठा। कई गम्भीर मामलो में दबाव की नीति और समझौते की प्रवृत्ति ने बड़े घटनाओं को जन्म दिया। यह कहने में थोड़ा भी संकोच नहीं कि स्थिति पहले से बहुत बदल चुकी है।
वर्तमान में हो रही आपराधिक घटनाओं के पीछे समाज भी बहुत हद तक जिम्मेदार है, दूसरे को गलत बताने और हर मामले में पुलिस की लापरवाही या फिर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने वाले लोग खुद के विचारों को आइना के तरह देखते तो उन्हें उसका उत्तर स्वयं से मिल जाता और आरोप लगाने के पहले एक बात ठिठक जरूर जाते।
समाज मे हो रही राजनीति का स्तर और वोट बैंक की नीति भी कम घातक नहीं है। समाज को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने की वकालत करने वाला एक बड़ा तबका भी अपने हित को ध्यान में रखकर ही सलाह दे रहा।
इस क्षेत्र में जितनी बड़ी समस्या जमीनी विवाद की है, उसे निपटाने के बजाय निचले स्तर के अधिकारी और समाज गांव स्तर के सामाजिक लोग भी उसे सुलगाये रखने में अहम भूमिका निभा रहे। जबकि जिम्मेदार भी उन्ही लोगों के इशारे पर निर्णय सुना उसे गम्भीर बनाने में अहम रोल निभा रहे। जमीनी विवाद के तरह ही अब प्रेम प्रसंग की समस्या जटिल होती जा रही। युवाओं की बात कौन करे किशोरावस्था के लड़के और लड़कियां अपने माता पिता, परिवार और समाज की परवाह किये बगैर ही अपना रास्ता खुद चुन ले रहे। प्रतिदिन पुलिस थाने पर अगर जमीनी विवाद के 5 मामले आ रहे तो प्रेम प्रसंग को लेकर छेड़खानी, दुष्कर्म और अपहरण के भी दो से तीन मामले आ रहे। बच्चों के माता पिता समाजिक भय से चुपके से मामले को निपटा दे रहे। नतीजन वहीं मामले खतरनाक रूप धारण कर ले रहे।

इस सप्ताह तहसील क्षेत्र में हुई घटनाओं को सुनकर और आम लोगो मे हो रही चर्चाओं को सुन मन बहुत विचलित हुआ। लिखना तो बहुत कुछ चाहता था। बहुत ऐसी घटनाओं को लेकर गम्भीर चर्चाएं भी सुनने को मिली। जो राजस्व विभाग व पुलिस विभाग के कार्यशैली पर सवाल खड़ा कर रहा। लेकिन वर्तमान की आधुनिकता में बढ़ रहे युवा समाज की दशा ने आत्ममंथन करने को मजबूर कर दिया है।

आग्रह/निवेदन
अगर आप चाहते है कि आने वाला आप भविष्य आपके बच्चों के लिए, आपके समाजिक प्रतिष्ठा के लिए बेहतर कल हो तो एक प्रतिज्ञा ले और पहला कदम यह उठाये की आप अपने बच्चों को इंग्लिश मीडियम स्कूल में अवश्य पढ़ाये, लेकिन उन्हें मोबाइल से दूर रखें, उन्हें संस्कार शिक्षा अवश्य दे। उनकी परवरिश ठीक से करे, लेकिन समाजिक संस्कृति और संस्कार के अंदर बांध कर रखे। कपड़ो और उनके संगत पर विशेष ध्यान दे।
आज की कड़ाई कल के आपके सम्मान की लड़ाई हो सकती है, अन्यथा समाज में आप किस पायदान पर होंगे यह नहीं कह सकता।
चलते चलते
इस शनीचरी डायरी में आम लोगों के साथ मेरी भावनाएं भी छुपी हुई है। अगर इस लेख के किसी शब्द/वाक्य से किसी समाज या व्यक्ति की भावना आहत हो रही हो तो मैं उस समाज या व्यक्ति के शिकायत के पूर्व ही खेद व्यक्त करता हूँ। 🙏🙏
✍️
अशोक वत्स
तमकुहीराज, कुशीनगर
📞94511 25721

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