बिहार शिक्षा

शिक्षा ही सफलता की चाभी है, वह कौम तरक्की नहीं कर सकती जो ज्ञान और हुनर में पीछे रह गई हो: महजूरल कादरी

नवादा (प्रेस रिलीज)। मौलाना मोहम्मद जहांगीर आलम महजूरल कादरी, बिहार राज्य उर्दू टीचर्स एसोसिएशन नवादा के अध्यक्ष, ने मुस्लिम समाज में बढ़ती अशिक्षा की दर पर गहरी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आज दुनिया की अन्य कौमें शिक्षा की प्राप्ति में लगी हुई हैं, अन्य खर्चों में कटौती करते हुए अपने बच्चों को उच्च और गुणवत्ता वाली शिक्षा दिलाने के लिए दिन-रात प्रयासरत हैं, लेकिन मुस्लिम समाज में आज भी शिक्षा की भारी कमी दिखाई देती है।
आज न तो मुस्लिम कौम में धार्मिक शिक्षा के लिए रुचि है और न ही आधुनिक शिक्षा की ओर ध्यान दिया जा रहा है। इस विकसित युग में हमारी पिछड़ापन की सबसे बड़ा कारण शिक्षा की कमी है। जो क़ौम शिक्षा की महत्वता और उपयोगिता को समझ रही है, आज उसी क़ौम के लोग हर विभाग में शासन कर रहे हैं, जबकि हम उनकी जी-हजूरी में लगे रहते हैं।
जबकि इस्लाम धर्म ने शिक्षा की प्राप्ति पर हमेशा ज़ोर दिया है इस्लाम धर्म के संस्थापक हज़रत मोहम्मद मुस्तफा (सल) ने शिक्षा को हर मुसलमान पुरुष और महिला पर अनिवार्य क़रार दिया है। इसमें यह शर्त नहीं है कि केवल धार्मिक शिक्षा ही प्राप्त करना अनिवार्य है, बल्कि धर्म की शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक विज्ञान भी इसमें शामिल है।
साफ है कि हम जितनी भाषाएं जानेंगे, उन भाषाओं को जानने वालों के बीच हम अपनी बात भी बेहतर तरीके से रख सकेंगे। साथ ही हर विभाग में हमारी क़ौम की उपस्थिति होगी, जिससे हमारे रोज़मर्रा के मुद्दे भी हल होते रहेंगे।

मौलाना महजूरुल क़ादरी ने मुस्लिम क़ौम से अपील की है कि परिस्थितियों के अनुरूप अपने बच्चों को धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ उच्च और गुणवत्ता वाली आधुनिक शिक्षा भी दिलाएं। शादी-ब्याह और अन्य मामलों में अनावश्यक खर्च से बचें, बल्कि उसी पैसे को इकट्ठा करके अपने-अपने क्षेत्रों में गुणवत्ता वाले स्कूल, कॉलेज, मदरसे, विश्वविद्यालय और अन्य शैक्षणिक संस्थान खोलें। तभी पूरी क़ौम और समाज विकास सकेगा।

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