ना समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दी मुसलमानों
तुम्हारी दास्तां भी ना होगी उन दास्ता़नों में
रिवायत – हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि दोज़ख लज़्ज़तो में छिपा है और जन्नत परेशानियों में
रिवायत – एक मर्तबा हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने हज़रत जिब्रील अलैहिस्सलाम से पूछा कि मैंने कभी हज़रत मीकाईल को हंसते हुए नहीं देखा तो हज़रत जिब्रील कहते हैं कि जबसे दोज़ख पैदा की गयी है मीकाईल नहीं हंसे
रिवायत – हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि खुदा की कसम अगर तुमने वो मंज़र देखा होता जो मैंने देखा है तो ज़रूर तुम कम हंसते और बहुत रोते तो सहाबा ने पूछा कि आपने क्या देखा है तो आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि मैंने जन्नत और दोज़ख देखी है
रिवायत – हज़रत यहया बिन मुआज़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु फरमाते हैं कि लोग तंगदस्ती से जितना डरते हैं अगर उतना जहन्नम से डरते तो सीधा जन्नत में जाते और हज़रत मुहम्मद बिन मुकदिर रज़ियल्लाहु तआला अन्हु जब भी रोते तो अपने आंसुओं से अपना चेहरा और दाढ़ी तर कर लेते लोगों ने इसकी वजह पूछी तो फरमाया कि मैंने सुना है की ख़ौफ़े ख़ुदा की वजह से जो आंसू बहेंगे तो जहां जहां वो पहुंचेंगे वो जगह जहन्नम में नहीं जलेगी
रिवायत – हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि जो कोई 3 बार जहन्नम से पनाह मांगे अल्लाहुम्मा अजिरनी मिनन नार अल्लाहुम्मा अजिरनी मिनन नार अल्लाहुम्मा अजिरनी मिनन नार तो जहन्नम रब की बारगाह में अर्ज़ करती है कि ऐ मौला इसे मुझसे महफूज़ रख और फरमाते हैं कि जो कोई 3 बार जन्नत की दुआ करे अल्लाहुम्मा अदख़िलहुल जन्नह अल्लाहुम्मा अदख़िलहुल जन्नह अल्लाहुम्मा अदख़िलहुल जन्नह तो जन्नत उसके लिए रब की बारगाह में अर्ज़ करती है कि ऐ मौला इसे जन्नत में दाखिल फरमा
अहवाले बरज़ख़,सफह 86-91