मुंबई: रजा एकेडमी के संस्थापक अल्हाज मुहम्मद सईद नूरी ने कर्नाटक हिजाब विवाद को लेकर कहा कि देश में व्याप्त सांप्रदायिकता और नफरत ने हाल के दिनों में स्कूल और कॉलेज के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ते हुए दूषित कर दिया है। देश में हर जगह हिजाब को लेकर प्रदर्शन हो रहा है और स्कूल-कॉलेज जाने वाली छात्राओं के साथ हिजाब पहनने पर दुर्व्यवहार की घटनाएं सामने आ रही हैं। उन्हें स्कूलों और कक्षाओं से निकाला जा रहा है जो बहुत दुखद है।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हिजाबी मुस्लिम छात्रों के खिलाफ इन असंवैधानिक और असंवैधानिक कृत्यों को हतोत्साहित करें। साथ ही इन हिजाबी मुस्लिम छात्रों को प्रोत्साहित करें, उन्हें आश्वस्त करें कि इन प्रतिकूल परिस्थितियों में देश के बच्चे उनके साथ हैं। इसलिए रजा एकेडमी ने फैसला किया है कि भगवा शॉल पहने युवाओं के बीच नारा ए तकबीर लगाने वाली कर्नाटक की हिजाब छात्रा को “मरवा-ए-शरबिनी पुरस्कार” दिया जाए।
उन्होने बताया कि मारवा शरबीनी मिस्र की एक युवा मुस्लिम महिला थी, जिसे जर्मनी में एक यहूदी एलेक्स ने हिजाब पहनने पर उन्हे 18 बार चाकू मारकर मार डाला था। मारवा का पति उसे बचाने दौड़ा तो पुलिस ने उसे गोली मार दी थी। मारवा के तीन साल के बेटे ने यह सब देखा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जब मारवा अपने बच्चे के साथ पार्क में थी, तब रूसी एलेक्स ने उसे हिजाब के आधार पर “आतंकवादी” कहा और उसका अपमान किया। मारवा की शिकायत पर एलेक्स पर जुर्माना लगाया गया।