भारतीय दंड संहिता में बड़ा बदलाव हुआ है, नए विधेयक में रेप के मामलों में सजा बढ़ाई गई है. इसमें न्यूनतम सज़ा जो पहले 7 साल थी, अब 10 साल कर दी गई है. नाबालिग के साथ रेप की सजा को बढ़ाकर 20 साल कर दिया गया. यह आजीवन कारावास की सजा है. गलत पहचान बताकर यौन संबंध बनाने वाले को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।
नए कानून के तहत नाबालिग से गैंगरेप पर मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया है।
रेप विक्टिम्स की पहचान को बचाने के लिए नया कानून बनाया गया है. धारा 377 अब पूरी तरह से समाप्त कर दी गई है. नए कानून के तहत अब पुरुषों के खिलाफ अप्राकृतिक यौन अपराधों के लिए सजा का कोई प्रावधान नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 के तहत फैसले में कहा था कि “सहमति देने वाले वयस्कों” पर “अप्राकृतिक कृत्यों” के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है।
लापरवाही से मौत की सजा 2 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दी गई है. आतंकवाद के खिलाफ नए कानून यानी मौत की सजा का प्रावधान किया गया है. राजद्रोह के कानून को “भारत की एकता, संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य” के रूप में परिभाषित किया गया है. इसके लिए न्यूनतम सजा को 3 साल से बढ़ाकर 7 साल कर दिया गया है।