- उलमा किराम को पेश किया किताबों का नज़राना
- छोटे काजीपुर में जलसा
गोरखपुर। ईद मिलादुन्नबी के सदके में तमाम ईदें मिलीं। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के लिए पूरी दुनिया बनी। आप नूर-ए-खुदा, खैरुल बशर हैं। क़ुरआन में खुदा फरमाता है कि बेशक तुम्हारें पास अल्लाह की तरफ से नूर तशरीफ लाया। पैग़ंबरे इस्लाम की नूरानियत से चांद, सूरज, सितारे सारी कायनात रोशन है। पैग़ंबरे इस्लाम के सदके पूरी दुनिया को वजूद मिला। पैग़ंबरे इस्लाम जब पैदा हुए तो सजदा-ए-खुदावंदी करके अपनी उम्मत को याद फरमाया। आप ही सबसे पहले शफाअत के मनसब पर फाइज होंगे।
यह बातें छोटे काजीपुर में आयोजित जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी में बतौर मुख्य अतिथि गौसिया जामा मस्जिद के इमाम मौलाना मोहम्मद अहमद निज़ामी ने कही।
विशिष्ट अतिथि नायब क़ाज़ी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि ईद मिलादुन्नबी मनाना क़ुरआन व हदीस की रोशनी में जायज है। जो इसका इंकार करते हैं उनका दीन-ए-इस्लाम से कोई वास्ता नहीं। पैग़ंबरे इस्लाम ने खुद अपना मिलाद मनाया। सहाबा, अहले बैत, ताबईन, औलिया ने भी इसका एहतमाम किया। लिहाजा मुसलमान पूरे साल इस अज़ीम नेमत को मना कर सवाबे अज़ीमा हासिल करें। ईद मिलादुन्नबी की महफिलों व जलसों में अल्लाह का फ़ज़ल बेहिसाब नाज़िल होता है। ईद मिलादुन्नबी अर्श से लेकर फर्श तक सभी मनाते हैं।
अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। उलमा किराम को तोहफे में किताबों का नज़राना पेश किया गया। जलसे में कारी शमसुद्दीन, अफरोज क़ादरी, हाफिज उस्मान, कारी अंसारुल हक, जमाल अहमद खान, हफीज अहमद खान, नूर मोहम्मद दानिश, मो. जुनैद, मो. नाज़िम, सैयद शहाबुद्दीन, अशहर खान आदि ने शिरकत की ।
